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सोमवार, 5 अगस्त 2013

देश में महिलाओं की स्थिति


 

           देश में महिलाओं की स्थिति 


                                                                                                  भारत देश में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैं। देश के कई राज्यों में महिलाओं के हालाॅत झकझोर देने वाले हैं। यही कारण है कि देश में बेटी बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय, डबल्यू.एच.. नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड व्यूरों, यूनिसेफ, मानव संसाधन विकास के जनगणना 2011, के आधार पर तैयार किए गए आंकड़ो के अनुसार देश में महिलाओं कि आबादी 48.4 फीसदी है। 


 
                                                        साक्षरता और पोषाहार के मामले में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं से अभी भी भेदभाव किया जाता है। 11 फीसदी महिलाओं को काॅलेज भेजा जाता है जबकि 15 प्रतिशत लड़कों को उच्च शिक्षा दी जाती है। आहार उपलब्ध न होने के कारण 18 से कम उम्र की 90 फीसदी महिलाए एनीमिया ये पीडि़त होती हंै। गंभीर बिमारी के मामले में 22 फीसदी बेटियों को ही उपचार मिल जाता है। जबकि 70 फीसदी लडकों को उपचार प्रदान किया जाता है। देश में महिलायें फाइटर पायलट नहीं बन सकती । मोर्चे पर नहीं जा सकती उन्हें फुल कमीशन प्राप्त नहीं हो सकता है।

                                                      गुजरात के मेहसाणा शहर मे सबसे बुरे हाल है।ए क हजार लडकों पर सिर्फ 760 लड़कियाॅं ही हैं लेकिन शिक्षा और व्यापार के मामले में गुजरात में महिलाओं की स्थिति सबसे मजबूत है।


                                                                 झारखंण्ड राज्य बाल विवाह कुपोषण और बीमारी के मामले में सबसे उपर हैं। झारखण्ड में बचपन मे ही शादी कर दी जाती। सबसे ज्यादा बाल विवाह यहीं होते हैं। झारखंण्ड राज्य कुपोषण के मामले में सबसे उपर है। सबसे ज्यादा एनीमिया की शिकार 70.6 प्रतिशत महिलाएं इसी राज्य में हैं।


                                         केरल साक्षरता और स्वास्थय के मामले में अव्वल है। केरल में महिलाओं की औसत उम्र यहां 75 साल है। साक्षरता का प्रतिशत केरल में यह 91.9 है । देश में सबसे ज्यादा डाॅक्टर महिलांए चंडीगढ में है। यहाॅं एक हजार की आबादी पर 7.5 महिला डाॅक्टर हैं। बिहार में सबसे कम 0.26 महिला डाॅक्टर हैं ।


                                           राजस्थान साक्षरता में पिछड़ा हुआ है। पढ़ सके ऐसी महिलाएं 52.7 प्रतिशत ही है, लेकिन सबसे ज्यादा महिला विधायक राजस्थान विधानसभा में है। यहां पर महिला विधायक 14.5 प्रतिशत हैं। नागालैंड राज्य में एक भी महिला विधायक नहीं है। 
 
                                                     महिला अपराध के मामले में कोई राज्य किसी से कम नहीं है। दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य है। महिला अपराध के मामले में सबसे आगे रहते हुये यहाॅं पर महिलाओं पर होने वाले कुल अपराधों में एक चैथाई यहीं होते हैं। जबकि सबसे ज़्यादा दहेज में मौतें उत्तर प्रदेश राज्य में होती है। त्रिपुरा राज्य में देश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते हैं। बडे राज्यों में मध्यप्रदेश भी पीछे नहीं हैं। बलात्कार के मामले में सबसे खतरनाक असम राज्य है। यहां पिछले पांच सालों में 7164 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुई ।


                                                  सबसे अच्छी स्थिति मिजोरम राज्य कि है जहाॅं पर एक हजार लडको पर 971 लडकिया हैं जबकि सबसे कम अनुपात हजार लडकांे पर 830 लडकियाॅ हरियाणा राज्य में है।




महिला पुरूष अनुपात मे कमी को देखते हुए माननीय उच्चतम 

न्यायालय द्वारा प्रसव पूर्व निदान अधिनियम का कठोरता से
 
 पालन किये जाने हेतु निम्नलिखित नवीनतम दिशा निर्देश जारी

  किए हैं:-




1- यदि अधिनियम के अनुसार रिकार्ड नही ंपाया जाता है तो सलाहकार समितियों को मशीने जप्त 

करने के निर्देश दिये गये है।

2- यदि सलाहकार समिति यह पाती है कि अधिनियम के नियमो का उल्लंघन किया गया तो वह राज्य चिकित्सा परिषद को सूचित कर अल्ट्रासांउड क्लिनिक के पंजीकरण को निलंबित करने और डाॅक्टर का लाइसेंस रद्द करने की अनुसंशा करेगी ।

3- अधिकारीगण यह देखेंगे कि सभी अनुवांशिक प्रयोगशाला अनुवांशिक क्लिनिक बांझपन क्लिनिक में प्रसवपूर्व निदान तकनीक और प्रक्रियाओ का उपयोग अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये प्रावधानो के अनुसार हो रहा है । उनके सभी रिकार्ड रखे जा रहे है ।

4- राज्य सलाहकार समिति यह भी देखेगी कि रिकार्ड की प्रतिलिपियां नियम 9-8 के अनुसार सभी जिले के अधिकारी को भेजी जा रही है ।

5- सलाहकार बोर्ड यह भी देखेगा कि अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन के निर्माता और विक्रेता ने किसी अपंजीकृत केन्द्र को मशीन बेची है तो उसकी तत्काल सूचना सरकार को दी जायेगी ।





                                                  इस संबंध में केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जगरूकता हेतु महिलाओं के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण के कार्यक्रम प्रारंभ किये जाने और रोकधाम के लिए निम्नलिखित दिशा निर्देश जारी किये-





1- अधिनियम के अंतर्गत निर्मित केन्द्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड और सलाहकार समिति की इस संबंध

 में नियमित बैठक होगी ।

2- पूर्व गर्भाधान पूर्व प्रसव निदान तकनी लिंग चयन प्रतिषेध अध्ाििनयम 1994के अंतर्गत एंव 
 पी.सी.एण्ड पी.एन.डी.टी. नियम 1996 के नियम 11-2 के अंतर्गत अपंजीकृत मशीन रखने एंव 

अधिनियम में स्वयं को पंजीकृत न कराने की दशा में सजा एंव मशीन जप्ती के प्रावधान किये गये है

 । इस संबंध में संशोधन की अनुसंशा की गई है ।

3- पी.एन.डी.टी. अधिनियम के उल्लंघन के खिलाफ निगरानी हेतु राज्य और जिला स्तर पर समिति बनाने का निर्णय लिया गया है । राष्ट्रीय निरीक्षण एंव निगरानी समिति भी बनाई गई है।

4- राष्ट्रीय निरीक्षण एंव निगरानी समिति (एन0आई0एम0सी0) राज्य और संघ राज्य देशों में अल्ट्रासांउड क्लिनिकों को अचानक निरीक्षण करेगी ।

5- राष्ट्रीय निरीक्षण एंव निगरानी समिति यदि किसी संगठन को निरीक्षण के दौरान 

कानून के उल्लंघन का दोषी पाती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही का अधिकार उसंे दिया गया है ।
6- अधिनियम के प्रभावी क्रियावयन हेतु चिकित्सा अधिकारी और न्यायपालिका के लिये संवेदनशील और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।

7- फ्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया और गैर सरकारी संगठनो की सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से बडे पैमाने पर मीडिया जागरूकता अभियान चलाया जायेगा । जिसमें बडे पैमाने पर सूचना, शिक्षा एंव प्रचार प्रसार गतिविधियां शुरू की जायेगी ।











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