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बुधवार, 7 अगस्त 2013

बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005

    बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005

                                              बालक अधिकारो के संरक्षण के बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आयोग की स्थापना की गई है जिसका उद्देश्य बालाको के विरूद्ध अपराधो या बालक अधिकारो के अतिक्रमण के त्वरित विचारण के लिए बालक न्यायालयो के गठन तथा इसे संबंधित और उसके आनुवंशिक विषयों का उपबंध करना है।

                                                    अधिनियम मंे संयुक्त राष्ट महासभा के शिखर सम्मेलन में बालको के लिए उपयुक्त विश्व नामक दस्तावेज को स्वीकार किया है । जिसमें वर्तमान दशक के लिए सदस्य देशो द्वारा अपनाए जाने वाले लक्ष्य उद्देश्य युक्तियां और क्रियाकलाप अंतर्विष्ट है । और यह समीचीन है कि इस संबंध में सरकार द्वारा अंगीकृत नीतियांे, बालक अधिकार संबंधी अधिसमय में विहित मानको और अन्य सभी सुसंगत अन्तरराष्ट्रीय लिखतो को कार्यान्वित करने के लिए बालको से संबंधित विधि अधिनियमित की जाए।

                                         अधिनियम के अनुसार केन्द्र सरकार अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य सरकार अधिनियम की धारा-17 के अंतर्गत राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग का गठन करेगी।\

        जिनका कार्य अधिनियम की धारा-13 के अनुसार निम्नलिखित होगा-

    1-    बालक अधिकारो के संरक्षण के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंधित रक्षोपायो की परीक्षा और पुनर्विलोकन करना तथा उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उपायो की सिफारिश करना ।

    2-    केन्द्रीय सरकार को वार्षिक रूप से ओर ऐसे अन्य अंतरालो पर जिन्हे आयोग उचित समझे उन रक्षापायो के कार्यकरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना ।

    3-     बालक अधिकारो के अंतिक्रमण की जांच करना और ऐसे मामलो में कार्यवाहिया आंरभ करने की सिफारिश करना । 

    4-    उन सभी पहलुओ की परीक्षा करना जो आंतकवाद सांप्रदायिक हिंसा , दंगे, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी/एडस अवैध व्यापार, दुव्र्यवहार उत्पीडन और शोषण अश्लील साहित्य और वेश्यावृत्ति से प्रभावित बालक अधिकारो के उपयोग को रोकते है और समुचित उपचारी उपायो की सिफारिश करना ।

    5-    उन बालको से जिन्ह विशेष देख-रेख और संरक्षण की आवश्यकता है जिनके अंतर्गत कष्टो से पीडित बालक तिरस्कृत और असुविधाग्रस्त बालक, विधि का उल्लंघन करने वाले बालक, किशोर, कुटुम्ब रहित बालक और कैदियो के बालक भी हे । संबंधित मामलो की जांच पडताल करना और उपयुक्त उपचारी उपायो की सिफारितश करना ।

    6-    बालक अधिकारो से संबंधित संधियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय  लिखतो का अध्ययन करना और विद्यमान नीतियों कार्यक्रमों और अन्य क्रिया कलापो का कालिक पुनर्विलोकन करना तथा बालको के सर्वोत्तम हित में उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सिफारिश करना ।

    7-    बालक अधिकारो के क्षेत्र में अनुसंधान करना और उसे अग्रसर करना।

    8    समाज के विभिन्न वर्गो के बीच बालक अधिकार सबंधी जानकारी का प्रसार करना और प्रकाशनो मीडिया, विचार गोष्ठियों और अन्य उपलब्ध साधनो के माध्यम से इन अधिकारो के संरक्षण के लिए उपलब्ध रक्षापायो के प्रति जागरूकता का संवर्धन करना ।

    9-    केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी के नियंत्रणाधीन किसी किशोर अभिरक्षागृह या किसी अन्य निवास स्थान या बालको के लिए बनाई गई संस्था जिसके अंतर्गत किसी सामाजिक संगठन द्वारा चलाए जाने वाली संस्था भी है का निरीक्षण करना या करवाना, जहां बालको कोउपचार, सुधार या संरक्षण के प्रयोजनो के लिए निरूद्ध किया जाता है या रखा जाता है निरीक्षण करना या करवाना और किसी उपचारी कार्रवाई के लिए यदि आवश्यक हो संबंधित प्राधिकारियो से बातचीत करना ।

    10-    निम्नलिखित से संबंधित मामलो के परिवादो की जांच करना और इन मामलो पर स्वप्रेरणा से विचार करना-

    अ-    बालक अधिकारो से वचन और उनका अतिक्रमण

    ब-    बालको के संरक्षण और विकास के लिए उपबंध करने वाली विधियों का अक्रियान्वयन

    स-    बालको की कठिनाइयों को दूर करने ओरबालको के कल्याण को सुनिश्चित करने तथा ऐसे बालको को अनुतोष प्रदान करने के उददेश्य के लिए नीतिगत विनिश्चियो मार्गदर्शनो या अनुदेशो का अनुुपालक या ऐसे विषयो से उदभूत मुददेो पर समुचित पदाधिकारियो के साथ बातचीत
करना और 

    11-    ऐसे अन्य कृत्य करना जो बालको के अधिकारो  के संवर्धन और उपर्युक्त कृत्यो से आनुषंगिक किसी अन्य मामलो के लिए आवश्यक समझे जाए ।

2-        आयोग ऐसे किसी मामले की जांच नहीं करेगा जो किसी राज्य आयोग या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सम्यक रूप से गठित किसी अन्य आयोग के समक्ष लंबित है । 

                                   अधिनियम की धारा-25 के अंतर्गत राज्य सरकार बालको के विरूद्ध अपराधो या बालक अधिकारो के अतिक्रमण के अपराधो का त्वरित विचारण करने का उपबध करने के प्रयोजन के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से अधिसूचना द्वारा उक्त अपराधो का विचारण करने के लिए राज्य में कम से कम एक न्यायालय को प्रत्येक जिले में किसी सेशन न्यायालय को बालक न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगी । इसी के अंतर्गत लैगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की रचना की गई है ।
   


सोमवार, 5 अगस्त 2013

बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005


बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005
बालक अधिकारो के संरक्षण के बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आयोग की स्थापना की गई है जिसका उद्देश्य बालाको के विरूद्ध अपराधो या बालक अधिकारो के अतिक्रमण के त्वरित विचारण के लिए बालक न्यायालयो के गठन तथा इसे संबंधित और उसके आनुवंशिक विषयों का उपबंध करना है।

अधिनियम मंे संयुक्त राष्ट महासभा के शिखर सम्मेलन में बालको के लिए उपयुक्त विश्व नामक दस्तावेज को स्वीकार किया है । जिसमें वर्तमान दशक के लिए सदस्य देशो द्वारा अपनाए जाने वाले लक्ष्य उद्देश्य युक्तियां और क्रियाकलाप अंतर्विष्ट है । और यह समीचीन है कि इस संबंध में सरकार द्वारा अंगीकृत नीतियांे, बालक अधिकार संबंधी अधिसमय में विहित मानको और अन्य सभी सुसंगत अन्तरराष्ट्रीय लिखतो को कार्यान्वित करने के लिए बालको से संबंधित विधि अधिनियमित की जाए।

अधिनियम के अनुसार केन्द्र सरकार अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य सरकार अधिनियम की धारा-17 के अंतर्गत राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग का गठन करेगी।

जिनका कार्य अधिनियम की धारा-13 के अनुसार निम्नलिखित होगा-
1- बालक अधिकारो के संरक्षण के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंधित रक्षोपायो की परीक्षा और पुनर्विलोकन करना तथा उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उपायो की सिफारिश करना ।
2- केन्द्रीय सरकार को वार्षिक रूप से ओर ऐसे अन्य अंतरालो पर जिन्हे आयोग उचित समझे उन रक्षापायो के कार्यकरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना ।
3- बालक अधिकारो के अंतिक्रमण की जांच करना और ऐसे मामलो में कार्यवाहिया आंरभ करने की सिफारिश करना ।
4- उन सभी पहलुओ की परीक्षा करना जो आंतकवाद सांप्रदायिक हिंसा , दंगे, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी/एडस अवैध व्यापार, दुव्र्यवहार उत्पीडन और शोषण अश्लील साहित्य और वेश्यावृत्ति से प्रभावित बालक अधिकारो के उपयोग को रोकते है और समुचित उपचारी उपायो की सिफारिश करना ।
5- उन बालको से जिन्ह विशेष देख-रेख और संरक्षण की आवश्यकता है जिनके अंतर्गत कष्टो से पीडित बालक तिरस्कृत और असुविधाग्रस्त बालक, विधि का उल्लंघन करने वाले बालक, किशोर, कुटुम्ब रहित बालक और कैदियो के बालक भी हे । संबंधित मामलो की जांच पडताल करना और उपयुक्त उपचारी उपायो की सिफारितश करना ।
6- बालक अधिकारो से संबंधित संधियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय लिखतो का अध्ययन करना और विद्यमान नीतियों कार्यक्रमों और अन्य क्रिया कलापो का कालिक पुनर्विलोकन करना तथा बालको के सर्वोत्तम हित में उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सिफारिश करना ।
7- बालक अधिकारो के क्षेत्र में अनुसंधान करना और उसे अग्रसर करना।
8 समाज के विभिन्न वर्गो के बीच बालक अधिकार सबंधी जानकारी का प्रसार करना और प्रकाशनो मीडिया, विचार गोष्ठियों और अन्य उपलब्ध साधनो के माध्यम से इन अधिकारो के संरक्षण के लिए उपलब्ध रक्षापायो के प्रति जागरूकता का संवर्धन करना ।
9- केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी के नियंत्रणाधीन किसी किशोर अभिरक्षागृह या किसी अन्य निवास स्थान या बालको के लिए बनाई गई संस्था जिसके अंतर्गत किसी सामाजिक संगठन द्वारा चलाए जाने वाली संस्था भी है का निरीक्षण करना या करवाना, जहां बालको कोउपचार, सुधार या संरक्षण के प्रयोजनो के लिए निरूद्ध किया जाता है या रखा जाता है निरीक्षण करना या करवाना और किसी उपचारी कार्रवाई के लिए यदि आवश्यक हो संबंधित प्राधिकारियो से बातचीत करना ।
10- निम्नलिखित से संबंधित मामलो के परिवादो की जांच करना और इन मामलो पर स्वप्रेरणा से विचार करना-
- बालक अधिकारो से वचन और उनका अतिक्रमण
- बालको के संरक्षण और विकास के लिए उपबंध करने वाली विधियों का अक्रियान्वयन
- बालको की कठिनाइयों को दूर करने ओरबालको के कल्याण को सुनिश्चित करने तथा ऐसे बालको को अनुतोष प्रदान करने के उददेश्य के लिए नीतिगत विनिश्चियो मार्गदर्शनो या अनुदेशो का अनुुपालक या ऐसे विषयो से उदभूत मुददेो पर समुचित पदाधिकारियो के साथ बातचीत
करना और
11- ऐसे अन्य कृत्य करना जो बालको के अधिकारो के संवर्धन और उपर्युक्त कृत्यो से आनुषंगिक किसी अन्य मामलो के लिए आवश्यक समझे जाए ।
2- आयोग ऐसे किसी 
मामले की जांच नहीं करेगा जो किसी राज्य आयोग या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सम्यक रूप से गठित किसी अन्य आयोग के समक्ष लंबित है ।
अधिनियम की धारा-25 के अंतर्गत राज्य सरकार बालको के विरूद्ध अपराधो या बालक अधिकारो के अतिक्रमण के अपराधो का त्वरित विचारण करने का उपबध करने के प्रयोजन के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से अधिसूचना द्वारा उक्त अपराधो का विचारण करने के लिए राज्य में कम से कम एक न्यायालय को प्रत्येक जिले में किसी सेशन न्यायालय को बालक न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगी । इसी के अंतर्गत लैगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की रचना की गई है ।