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सोमवार, 5 अगस्त 2013

इलेक्ट्रानिक साक्ष्य की प्रकृति


इलेक्ट्रानिक साक्ष्य की प्रकृति

संयुक्त राष्ट् महा सभा के द्वारा 30 जनवरी 1997 को यह संकल्प लिया गया है कि अंतर्राष्ट्ीय व्यापार विधि से संबंधित संयुक्त राष्ट् आयोग द्वारा इलेक्ट्ानिक वाणिज्य आदर्ष विधि को स्वीकार किया जायेगा और यह संकल्प लिया गया है कि कागज विहीन तरीको को बढावा दिया जायेगा और उक्त संकल्प को प्रभावी करने के लिए सरकारी सेवाओ में इलेक्ट्ानिक अभिलेखों को मान्यता प्रदान की गई है । और इस संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 को 9 जून 2000 को स्वीकृति प्रदान हुई है तथा 17 अक्टूबर 2000 से यह अधिनियम प्रभावषील हुआ है ।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा-2 टी के अनुसार इलेक्ट्ानिक अभिलेख से अभिप्राय है कि किसी इलेक्ट्ानिक प्रारूप या माइक्रोफिल्म या कम्प्यूटर उत्पादित माइक्रोफिष में डाटा अभिलेख व उत्पादित डाटा भंडारित प्राप्त या प्रेषित ध्वनि अभिप्रेत है ।
इलेक्ट्ानिक अभिलेख को मान्यता प्रदान करने के लिए सरकारी अभिकरणों में दस्तावेजो की इलेक्ट्ानिक फाइल बनाने को सुकर बनाने और भारतीय दण्ड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ,1872, बैंककार बही साक्ष्य अधिनियम, 1891 और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 का और संषोधन करनेतथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबन्ध करने के लिए अधिनियम में प्रभावी संषोधन किये गये हैं ।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 जिसे आगे अधिनियम से संबोधित किया गया है की धारा- 65 ख के अनुसार इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड की अन्तर्वस्तुओं

का सबूत धारा 65 बी के अनुसार सिद्ध किया जा सकता है ।
यह नया प्रावधान है जिसमें ऐसे रिकार्ड को सिद्ध करने का तरीका बताया गया है । इसका प्राथमिक उददेष्य द्वितीयक साक्ष्य द्वारा सबूत को पक्का करना है । द्वितीयक साक्ष्य की यह सुविधा कम्प्यूटर आउटपुट के बारे में लागू होती है और ऐसे आउटपुट को सबूत के प्रयोजनो के लिए दस्तावेज माना जायेगा । इस धारा में यह भी कहा गया है कि उपधारा (1) के अनुसार कोई सूचना जो इलेक्ट्राॅनिक रिकार्डमें अन्तर्निहित है और जिसका मुद्रण करके या कापी करके रिकार्ड किया जाता है उसे भी दस्तावेज माना जायेगा । इस धारा में कुछ ष्षर्ते दी गई हैं जिनका अनुपालन करना जरूरी माना गया है । जहां षर्ते पूरी हो जाती है इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड साक्ष्य में ग्राहय कर लिया जाता है और किसी भी कार्यवाही में मूल दस्तावेज पेष करना जरूरी नहीं रह जाता है ।
कम्प्यूटर आउटपुट की सुसंगतता के संबंध में षर्ते- कम्प्यूटर आउटपुट को साक्ष्य बनने के लिए निम्नलिखित षर्ते पूरी करनी चाहिएं जैसा कि उपधारा (2) में दिया है:
() कम्प्यूटर आउटपुट में जो सूचना है वह कम्प्यूटा में उस समय भरी गई थी जब कि कम्प्यूटर लगातार चल रहा था और उस समय ये संबंधित सारी सूचनाएं एकत्र कर रहा था और कम्प्यूटर उस व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा
रहा था, जिसका इसके इस्तेमाल पर नियंत्रण था ।
() इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड में भरी गयी सूचना इस प्रकार की थी, जो कि नियमित रूप से सामान्य गतिविधियों द्वारा भरी गयी थी ।
() डाटा फीडिंग के दौरान कम्प्यूटर का नियमितसंचालन किया जाता था और यदि कोई अंतराल था तो इससे कम्प्यूटर की सही सूचना पर कोई असर नहीं पड रहा था
() इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड की सूचना सामान्य गतिविधियों के दौरान प्राप्त की गई थी ।
जहां सूचना एक दूसरे से सम्बद्ध कम्प्यूटरो से प्राप्त की गई थी या एक के बाद एक कम्प्यूटर से प्राप्त की गई थी, वहां सभी कम्प्यूटर्स जो इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें एक इकाई माना जायेगा । इस संबंध में धारा- 65बी (3) के संदर्भ में कम्प्यूटर का अर्थ लगाया जाना चाहिए ।
जब इस धारा के अंतर्गत कोई कथन निकालना है तो उसके साथ यह प्रमाण पत्र देना जरूरी है कि कथन की प्रकृति क्या है और इसे कैसे हासिल किया गया है । पूरा विवरण तरीका तथा धारा की षर्ते आदि देना जरूरी है । इस प्रमाण पत्र पर संबंधित गतिविधियों से जुडे हुये अधिकारी का हस्ताक्षर होना चाहिए जो कथन की सत्यता को प्रमाणित कर रहा हो । इस प्रयोजन के लिए यह पर्याप्त है कि कथन हस्ताक्षर करने वाले की पूरी जानकारी औरविष्वास के अनुसार सही है धारा- 65बी (4)
इस धारा के प्रयोजन के लिए कोई सूचना कम्प्यूटर में सही तरीके से मानव द्वारा या मषीनरी द्वारा भरी जानी जरूरी है । यदि कम्प्यूटर संबंधित गतिविधियों से बाहर कार्य कर रहा है तो भी कार्य के दौरान संबंधित अधिकारी द्वारा दी गई सूचना भी इसी श्रेणी में आएगी ।
इस धारा का स्पष्टीकरण घोषित करता है कि धारा 65बी की प्रयोजनार्थ अन्य सूचना से निकाली गई सूचना का अर्थ होगा कि इसे गणना करके, तुलना करके या अन्य तरीके से निकाला गया है ।
इस प्रकार धारा-65, एवं 65बी साक्ष्य अधिनियम की प्रकृति एंव विचारण के दौरान उसके अभिलेखन की प्रणाली को समझाया गया है ।
साक्ष्य की अधिनियम धारा-65-ख के अनुसार कोई भी सूचना जो इसमें निहित है जो इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड के रूप में है जो दृष्यमान अथवा चुम्बकीय मीडिया द्वारा मुद्रित एकत्रित अथवा किसी पेपर पर अभिलिखित हो; कम्प्यूटर द्वारा प्रस्तुत की गई है (कम्प्यूटर आउटपुट के रूप में एक दस्तावेज माना जायेगा) और निम्नलिखित ष्षर्ते पूरी होने पर उसकी अंतरवस्तु के संबंध में प्रत्यक्ष साक्ष्य के रूप में वह ग्राहय मानी जायेगी ।
धारा 67-. डिजिटल हस्ताक्षर के संदर्भ में प्रमाण- डिजिटल हस्ताक्षर के प्राप्ति के मामले के अपवाद के अलावा यदि किसी सब्सक्राइबर की डिजिटल हस्ताक्षर किसी इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड पर लिया गया कथित किया जाता है ता यह तथ्य कि उक्त डिजिटल हस्ताक्षर जो कि सब्सक्राइबर का डिजिटल हस्ताक्षर है प्रमाणित होना चाहिए ।
धारा 73-. डिजिटल हस्ताक्षर के सत्यापन का प्रमाणः- इस को अभिनिष्चित करने के क्रम में कि डिजिटल हस्तक्षर उसी व्यक्ति का है जिसके लिए तात्पर्यित है न्यायालय निर्देष दे सकता है -
() वह व्यक्ति या नियंत्रक या प्रमाणीकृत प्राधिकारी डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें;
() कोई अन्य व्यक्ति जो डिजिटल हस्ताक्षर के संदर्भ में डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र सूची बद्ध ‘पब्लिक की’
डिजिटल हस्ताक्षर के संदर्भ में उक्त व्यक्ति द्वारा तात्पर्यित माना जाएगा ।
स्पष्टीकरणः- इस धारा के उददेष्यों के लिए ‘नियत्रंक’ का तात्पर्य तकनीकी अधिनियम 1999 की धारा 17 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त नियंत्रक से है ।
धारा 85-. इलेक्ट्राॅनिक करारों के बारे में उपधारणा- दी गई है कि न्यायालय यह उपधारित करेगा कि प्रत्येक इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड जो किसी करार से तात्पर्यित है जिसमें पक्षकारो के डिजिटल हस्ताक्षर भी है के विषय में यह सुनिष्चित किया जाएगा कि वे पक्षकारो के ही हस्ताक्षर है ।
धारा 85-. इलेक्ट्राॅनिक रिकार्डस् एंव डिजिटल हस्ताक्षर विषयक उपधारणा- (1) किसी कार्यवाही में जिसमें इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड की प्राप्ति षामिल हे, न्यायालय यह उपधारणा करेगी कि जब तक कि तत्प्रतिकूलता में साबित न कर दिया जाय उक्त इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड परिवर्तित नहीं कर दिया जाता है यह उस समय से जो कि समय के विनिर्दिष्ट बिन्दु से संबंधित हो तो उसे प्राप्त करने की प्रास्थिति से संबंधित है ।
(2) प्रत्येक कार्यवाही में जिसमें डिजिटल हस्ताक्षर अभिप्राप्त किया गया है जब तक कि इसके विपरीत साबित न कर दिया जाय न्यायालय यह उपधारित करेगा -
() प्राप्त किया गया डिजिटल हस्ताक्षर सब्सक्राइबर द्वारा लिया गया माना जाएगा इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड के अनुमोदन एंव हस्ताक्षर के आषय से संबद्ध माना जाएगा;
() अभिप्राप्त इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड के अलावा एक ‘सेक्योर डिजिटल हस्ताक्षर’ इस धारा में किसी बात के न होते हुये कोई उपधारणा इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड की परिषुद्धता का किसी डिजिटल हस्ताक्षर की षुद्धता एंव समेकता के सृजन की उपधारणा कर सकेगा ।
धारा 85-. डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र के संबंध में उपधारणा- दी गई है कि जब तक कि तत्प्रतिकूल रूप में साबित न किया जाय न्यायालय यह उपधारणा कर सकेगा कि डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र में सूची बद्ध सूचना सत्य है । सिवाय सब्सक्राइबर सूचना में विनिर्दिष्ट सूचना के जो सत्यापित नहीं है; यदि प्रमाण पत्र सब्सक्राइबर द्वारा स्वीकृत होता है ।
इसी प्रकार धारा 88-. इलेक्ट्राॅनिक सूचना के संदर्भ में उपधारणा- दी गई है कि न्यायालय यह उपधारित कर सकता है कि कोई इलेक्ट्राॅनिक सूचना जो ओर्जिनेटर द्वारा इलेक्ट्राॅनिक मेल से पाने वाले को भेजी गई हो एंव जिसके लिए समाचार तात्पर्यित हो जैसा कि यह कम्प्यूटर में सुस्थित किया गया हो एंव जो उसके कम्प्यूअर ट्ांषमिषन के लिए हो; किन्तु न्यायालय उस व्यक्ति के बारे में कोई उपधारणा नहीं करेगी जिसके द्वारा सूचना प्रेषित की गई है ।
90-. पांचवर्ष पुराने इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड के संबंध में उपधारणा- दी गई है कि जहां केाई इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड जो कि पांच वर्ष पुराना प्रमाणित हैं अथवा प्रमाणित होने के लिए तात्पर्यित है, किसी अभिरक्षा
द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जिसे न्यायालय विषेष मामलों में उचित समझता है; न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि डिजिटल हस्ताक्षर जो कि किसी खास व्यक्ति के डिजिटल हस्ताक्षर के लिए तात्पर्यित है वह उसके द्वारा इस प्रकार
सुनिष्चित है अथवा उसकी ओर से प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा सुनिष्चित है ।
स्पष्टीकरणः- इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड उचित अभिरक्षा में तब कहे जाते हैं यदि वे उस स्थान में जिसमें है किसी व्यक्ति के देखभाल के अधीन होते है; वे प्राकृतिक रूप में हो सकते हैं; किन्तु कोई अभिरक्षा उस समय अनुचित नहीं होगा यदि यह साबित कर दिया जाता है कि इसका विधिक मूल है अथवा विषिष्ट मामले की परिस्थिति इस प्रकार हो कि ऐसे मूल के अधिसम्भाव्य बनावें ।
131-उन दस्तावेजों या इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड का पेष किया जाना जिन्हें कोई दूसरा व्यक्ति, जिसका उन पर कब्जा है, पेष करने से इंकार कर सकता थाः- कोई भी व्यक्ति अपने कब्जे में की ऐसे दस्तावेजो अथवा इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड को पेष करने के लिए जिनको पेष करने से कोई अन्य व्यक्ति, यदि वे उसके कब्जे में होतीं, इन्कार करने का हकदार होता, विवष नहीं किय जाएगा जब तक कि ऐसा अंतिम वर्णित व्यक्ति उनक पेषकरण क लिये सम्मति नहीं देता ।
इस प्रकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संषोधन के स ेइलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड की प्रकृति और उसके अभिलेखन की सामग्री तथा उसके संबंध में की जाने वाली उपधारणा में सीमित प्रावधान दिये गये हैं । भा..सं. में जहां पर दस्तावेज का उल्लेख है उसके स्थान पर इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड भी षामिल किया गया है और इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड का अर्थ सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम की धारा-2 की उपधारा 1 के खण्ड टी में दिया गया है जिसके अनुसार इलेक्ट्राॅनिक रिकार्ड से किसी इलेक्ट्राॅनिक प्ररूप या माइक्रोफिल्म या कम्प्यूटर उत्पादित माइक्रोफिष में डाटा अभिलेख या उत्पादित डाटा, भंडारित, प्राप्त या प्रेषित ध्वनि अभिप्रेत हैं;



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