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सोमवार, 5 अगस्त 2013

बाल विवाह बाल विवाह निषेध अधियिम 2006


                                                                 बाल विवाह

                 बाल विवाह निषेध अधियिम 2006 

 
                                                        हमारे देश में बच्चो की कम उम्र में शादी की परम्परा है । जिसके कारण बच्चें कम उम्र में मां बाप बन जाते हैं । गर्भवती महिलाओ को मृत्यु और गर्भपात में वृद्धि होती है । शिशु मृत्यु दर बढती है ।

                         बच्चो को बाल मजदूरी अवैध व्यापार या वैश्या वृत्ति में लगा दिया जाता है भारत में बाल विवाह को दण्डित किया गया है जिसके संबंध में बाल विवाह निषेध अधियिम 2006 की रचना की गई है ।

                                                              अधिनियम के अनुसार एक ऐसी लडकी का विवाह जो 18 साल से कम की है या ऐेसे लडके का विवाह जो 21 साल से कम का है । बाल विवाह कहलाता है


                                   ।जिसके लिए 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र का बालक जो विवाह करता है । उसे और उसके मिाता पिता संरक्षक अथवा वे व्यक्ति जिनके देखरेख बाल विवाह सम्पन्न होता है । बाल विवाह में शामिल होने वाले व्यक्तियों को भी दण्डित किया जाता है ।

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                                                                         बाल विवाह के आरोपियों को दण्डित किया गया है । उन्हें दो साल तक का कठोर कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है ।

                                                इसके अलावा बाल विवाह कराने वाले माता पिता, रिश्तेदार, विवाह कराने वाला पंडित, काजी को भी तीन महीने तक की कैद और जुर्माना हो सकता है ।

                                    किन्तु बाल विवाह कानून के अंतर्गत किसी महिला को न ही माता पालक अथवा बालक या बालिका जिसका विवाह हुआ है उसे कारावास की सजा नहीं दी जाएगी। 

 
                                                बाल विवाह की शिकायत कोई भी व्यक्ति निकटतम थाने में कर सकता है । इसके लिए सरकार के द्वारा प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर बाल विवाह निषेध अधिकारी की शक्तियां दी गई है ।

                                            जिसका काम उचित कार्यवाही से बाल विवाह रोकना है । उनकी अभिरक्षा भरण पोषण की जिम्मेदारी उसकी है । उसका काम समुदाय के लोगो में जागरूकता पैदा करना है । वह बाल विवाह से संबंधित मामलो में जिला न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करवायेगा ।


                                                      बाल विवाह को विवाह बंधन में आने के बाद किसी भी बालक या बालिका की आनिच्छा होने पर उसे न्यायालय द्वारा वयस्क होने के दो साल के अंदर अवैध घोषित करवाया जा सकता है ।

                                        जिला न्यायालय भरण पोषण दोनो पक्षों को विवाह में दिए गए गहने कीमती वस्तुएंे और धन लौटाने के आदेश पुनर्विवाह होने तक उसके निवास का आदेश कर सकेगा।