संविधान
में बच्चों से संबंधित विशेष
प्रावधान
भारत
के संबिधान में बच्चों को
विशेष प्रावधान दिये गये हैं।
जिसमें आर्थिक शारीरिक शोषण
से बचाने,
बालश्रम
रोकने तथा शिक्षा प्रदान कराने
लिये विशेष प्रावधान दिये
गये है ।
संविधान
के अनुच्छेद-15-3
के
अनुसार राज्य स्त्रियों और
बालको के लिये विशेष उपबंध
बना सकता है । इस संबंध में
अनुच्छेद 21-क
में 86
वें
संशोधन अधिनियम के द्वारा
शिक्षा को मूल अधिकार में
शामिल करते हुये उपबंधित किया
गया है कि राज्य ऐसी रीति से
जैसा कि विधि द्वारा उपबंधित
है 6
वर्ष
की आयु 14
वर्ष
की आयु तक के सभी बच्चों के
लिये निशुल्क और अनिवार्य
शिक्षा उपलव्ध कराई जावेगी
।
संविधान
के अनुच्छेद 23
में
बलातश्रम,
बेगार,
मानव
व्यापार को प्रतिबंधित कर
दंडनीय अपराध बनाया गया है ।
संबिधान के अनुच्छेद 24
के
अनुसार 14
वर्ष
से कम आयु के किसी बालक को किसी
कारखाने या खान में काम करने
के लिये नियोजित नहीं किया
जा जायेगा । किसी परिसकंटमय
नियोजन में नहीं रखा जायेगा
।
संविधान
के निति निर्देशक तत्व के
अनुच्छेद 39-ई
में पुरूष और स्त्री कर्मकारो
के स्वास्थय और शक्ति का तथा
बालको की सुकुमार अवस्था का
दुरूपयोग न हो और आर्थिक
आवश्यकता से विवश होकर नागरिको
को ऐसे रोजगारों में न जाना
पड़े जो उनकी आयु या शक्ति के
अनुकूल न हो ।
अनुच्छेद
39-एफ
के अनुसार बालको के स्वतंत्र
और गरिमामय बातावरण में स्वच्छ
विकास के अवसर और सुविधाऐं
दी जायें और बालको और अल्पवय
व्यक्तियों की शोषण से तथा
नैतिक और आर्थिक ,परित्याग
से रक्षा की जाये ।अनुच्छेद
45 के
अनुसार राज्य 6
वर्ष
के आयु के सभी बच्चों के पूर्व
बाल्यकाल के देखरेख और शिक्षा
देने का प्रयास करेगा ।
भारत
के संबिधान में राज्य के नागरिको
पर भी कुछ मूल कर्तव्य आरोपित
किये गये हैं जिसके अनुच्छेद
51-ए-के
के अनुसार 6
वर्ष
की आयु से 14
वर्ष
के आयु के बच्चों के माता पिता
और प्रतिपाल्य के संरक्षक
जैसा मामला हो उन्हें शिक्षा
का अवसर प्रदान करे ।
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