शिक्षा पहुंची
द्वार-द्वार
केन्द्र सरकार ने शिक्षा पहुंची द्वार-द्वार सबके लिये शिक्षा कार्यक्रम लगभग आठ साल से चलाया जा रहा हे
जिसमें 14 लाख स्कूलो में 20 करोड़ बच्चों को शिक्षण सुविधा पदान की जाती है,जिसमें विशेष कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्प संख्यको पर ध्यान रखा जाता है ।
लड़कियो की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाता है।जिसमें 3,60,000 लड़कियाॅ शिक्षा पा रही है इस स्कूल में छटी आंठवी तक की छात्राओं के लिये छात्रावास की व्यवस्था है ।
शैक्षणिकरूप से पिछडे हुये जिलों में इस तरह के स्कूल चलाये जाते हें इन स्कूलों की तदाद 29 फीसदी स्कूल अनुसूवित जाति ,26 प्रतिशत स्कूलअनुसूचित जनजाति, 26 प्रतिशत स्कूल पिछड़े वर्ग, 9 प्रतिशत स्कूल अल्प संख्यकों और 10 पतिशत स्कूल बी0पी0एल0 नीिवारों की छात्राओं के लिये चजाये जा रहे हैं ।
केन्द्र सरकार ने शिक्षा पहुंची द्वार-द्वार सबके लिये शिक्षा कार्यक्रम लगभग आठ साल से चलाया जा रहा हे
जिसमें 14 लाख स्कूलो में 20 करोड़ बच्चों को शिक्षण सुविधा पदान की जाती है,जिसमें विशेष कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्प संख्यको पर ध्यान रखा जाता है ।
लड़कियो की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाता है।जिसमें 3,60,000 लड़कियाॅ शिक्षा पा रही है इस स्कूल में छटी आंठवी तक की छात्राओं के लिये छात्रावास की व्यवस्था है ।
शैक्षणिकरूप से पिछडे हुये जिलों में इस तरह के स्कूल चलाये जाते हें इन स्कूलों की तदाद 29 फीसदी स्कूल अनुसूवित जाति ,26 प्रतिशत स्कूलअनुसूचित जनजाति, 26 प्रतिशत स्कूल पिछड़े वर्ग, 9 प्रतिशत स्कूल अल्प संख्यकों और 10 पतिशत स्कूल बी0पी0एल0 नीिवारों की छात्राओं के लिये चजाये जा रहे हैं ।
एन0सी0आर0टी0
के
दो बार हुये सर्वेक्षण में
यह बात सामने आई है कि इन स्कूलों
में लड़कियों की सीखने की
क्षमता में बहुत अधिकसुधार
हुआ है । कूलमिलाकर तस्बीर
यह सामने आई रही है कि ग्रामीणक्षेत्रों
के लड़के लड़कियों की उपलव्धियों
का फासला शहरी लड़के लड़कियों
के मुकाबले बहुत कम हुई है ।
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