2004
भाग-6
सुप्रीमकोर्ट
केसेज 485धारा 307
न्यायालय
को यह देखना चाहिये कि क्या
प्रश्नगत कृत्य,
इसके
परिणाम को विचार में लिये बिना
आशय या ज्ञान के स्थान किया
गया था और धारा 307
में
उल्लंखित परिस्थितियों के
अधीन किया गया था । यह धारा
307
के
तहत दोषसिद्वी को न्याय संगत
ठहराने के लिये पर्याप्त है
। यदि यह पाई जाती है और जांच
में जिनके निष्पादन में कोई
खुला कृत्य पाया जाता है
यह
आवश्यक नहीं है कि मृत्यु
कारित करने में समर्थ शारीरिक
क्षति की प्रकृति को वास्तव
में कारित की गई थी ,
अभियुक्त
के आशय केबारे में निष्कर्ष
पर पहुंचने में पर्याप्त
सहायता,अवसर
दे सकेगी । ऐसा आशय अन्य
परिस्थितियों में भी निकाला
जा सकेगा और जहां तक कि कुछ
मामलों में समस्त वास्तविक
उपहतियों के किसी संदर्भ के
बिना अभिनिश्चित किया जा सकेगा
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