6
वर्ष
की आयु से 14
वर्ष
की आयु के बालकों के माता-पिता
संरक्षकों का यह कर्तव्य
होगा कि शिक्षा प्रदान करें
इसलिए शिक्षा को मूल अधिकार
बना दिया। बालकों के लिये
अनिवार्य शिक्षा के लिये कानून
बनाया गया है।
माननीय
उच्चतम न्यायालय द्वारा
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा
अधिनियम-2009
को
चुनौती देने वाली याचिका
राजस्थान राज्य विरूद्ध भारत
संघ 2012
भाग-6
एस.एस.सी.
पेज-1
में
दिनाॅक-04.12.12
को
इस अधिनियम को वैघ ठहराया था
एवं निःशुल्क एवं अनिवार्य
शिक्षा के संबंध में दिशा-निर्देश
दिये गये।
इसके बाद पुनः माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षा-दिक्षा स्कूल में स्थिति में सुधार-के मामले में पर्यावरण एवं उपभोक्ता संरक्षण फांउण्डेशन वि0 दिल्ली राज्य सि0 रिट याचिका 631/2004 में दिनाॅक-10.03.2012 को मान0 उच्चतम न्यायालय ने दिशा-निर्देश जारी किये
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इसके बाद पुनः माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षा-दिक्षा स्कूल में स्थिति में सुधार-के मामले में पर्यावरण एवं उपभोक्ता संरक्षण फांउण्डेशन वि0 दिल्ली राज्य सि0 रिट याचिका 631/2004 में दिनाॅक-10.03.2012 को मान0 उच्चतम न्यायालय ने दिशा-निर्देश जारी किये
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1. सरकार
केन्द्र और राज्य स्तर पर
बच्चों के अधिकारों की जांच
हेतु
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की
स्थापना करेगी।
2. बाल
संरक्षण अधिकार आयोग मुफ्त
और अनिवार्य शिक्षा के लिये
बच्चों
के अधिकार से संबंधित शिकायतों
की जाॅच करेगा।
3. बाल
अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों
के अधिकारों की सुरक्षा
उपायों
की समीक्षा करेगी और उनके
प्रभावी कार्यान्वयन हेतु
सिफारिश
करेगी।
4. प्रत्येक
स्कूल में पानी की सुविधा
पर्याप्त क्लास रूम लड़के-
लड़कियों
के लिये अलग-अलग
शौचालय संबंधी दिशा निर्देश
दिये
गये।
5. यह
दिशा निर्देश राज्य के स्वामित्व,
निजि,
स्वामित्व,
सहायता
प्राप्त,
गैर
सहायता प्राप्त,
अल्पसंख्यक,
गैर
अल्पसंख्यक सभी स्कूलों
पर लागू होंगे।
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