मध्य
प्रदेश सरकार ने महिला एवं
बालकों के कल्याण के लिए अनेक
योजनाएं बनाई हैं जिसमें लाडो
अभियान,
मुख्यमंत्री
कन्यादान योजना ,
उषाकिरन
योजना आदि महत्वपूर्ण हैं ।
1 लाडो
अभियान-
मध्य
प्रदेश सरकार ने वाल विवाह
प्रतिषेध अधिनियम 2006की
रचना की है जिसके अनुसार 18
वर्ष
सेकम आयु में लड़की तथा 21
वर्ष
से कम उम्र में लड़के का विवाह
करना कानूनी अपराध है । ऐसे
विवाह में शामिल होने वाले
सभी व्यक्ति अपराध की श्रेणीमें
आते हें । वाल विवाह करने और
करवाने वाले को दो वर्ष तक का
कठोर कारावास या एक लाख रूपये
तकका जुर्माना या दोनो हो सकता
है।
मध्य
प्रदेश सरकार के द्वारा बाल
विवाह न रचे ,अपराध
से बचे बेटियों को पढ़ने व आगे
बढ़ने का मोका दें ।इसके लिए
लाडो अभियान चलाया जिसमें
महिला और बच्चों को मध्य प्रदेश
शासन द्वारा चलाई जा रही समस्त
योजनाओं का लाभ दिलाने समस्त
जिला कलेक्टर या महिला विकास
विभाग केअधिकारी को अधिकृत
किया गया है । प्रत्येक व्यक्ति
,अपने
आस पास वाल विवाह होता पाये
तो इसकी सूचना इन अधिकारियों
को दे सकता है ।
2 मध्य
प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री
कन्यादान योजना
म0
प्र0
सरकार
के द्वारा गरीब,
जरूरत
,निर्धन,
निराश्रित
परिवारो तथा श्रमिक संवर्ग
के अन्तर्गत पंजीकृत हितग्राही
परिवारों की विवाह योग्य
कन्याओं ,विधवा
तथा
परित्यक्ता के विवाह के लिये
एक मंगल पहल प्रारंभ की गई।
इस
मुख्य मंत्री कन्यादान योजना
के अंतर्गत हर कन्या को विवाह
के समय
13 हजार
रूपये की गृहस्थी,सामग्री
निशक्त कन्या को 25
हजार
तथा वर-वधु
दोनो के निशक्त होने पर 50
हजार
रूपये अतिरिक्त अनुदान दिया
जाता है,
इस
अभिनव योजना में अबतक निर्धन
परिवारों की 2,29,680
बेटियों
का कन्यादान किया गया है । जिस
पपर अबतक 245
करोड
रूपये व्यय हो चुके हैं । यह
योजना एक अप्रेल 2006
से
प्रारंभ हुई है ।
3 लाड़ली
लक्ष्मी योजना
प्रदेश
में बालिकाओं के शैक्षणिक
तथा स्वास्थ्य की स्थिति में
सुधार लाने,
अच्छे
भविष्य की आधारशिला रखने,
बालिका
भ्रूण हत्या रोकने और बालिकाओं
के जन्म के प्रति जनता में
सकारात्मक सोच लाने एवं बाल
विवाह रोकने के उद्देश्य से
लाड़ली लक्ष्मी योजना आरंभ
की गई। योजना 1
जनवरी
2006 के
उपरांत जन्मी बालिकाओं के
लिए है।
योजना
के मध्य अर्थात 21
वर्ष
की आयु पूर्ण बालिका के आवेदन
पर उस दिनांक तक देय राशि का
समय पूर्व भुगतान किया जावेगा
किंतु शर्त यह होगी कि बालिका
की आयु 18
वर्ष
की हो कक्षा 12
वीं
की परीक्षा में सम्मिलित हो
एवं 18
वर्ष
उपरांत उसका विवाह हुआ हो।
योजना
का लाभ कौन ले सकता हैः-ऐसी
बालिकांए-जिनके
माता पिता
1
मध्य
प्रदेश के मूल निवासी हों
2
आयकर
दाता न हों।
3
द्वितीय
बालिका के प्रकरण में आवेदन
करने से पूर्व परिवार नियोजन
अपना
लिया हो।
4
प्रथम
प्रसव की प्रथम बालिका जिनका
जन्म 01.04.2008
क
उपरांत परिवार नियोजन कि
शर्त
यथावत।
5
हितग्राही
की आंगनवाड़ी केन्द्र में
उपस्थित नियमित हो।
6
जिस
परिवार में अधिकतम दो संतान
हों माता/पिता
की मृत्यु हो गई हो,
उस
परिवार के
लिये परिवार नियोजन की शर्त
अनिवार्य नहीं होगी,
परंतु
माता अथवा पिता का मृत्यृ
प्रमाण
पत्र आवश्यक होगा।
7
जिस
परिवार में प्रथम बालक अथवा
बालिका है तथा दूसरे प्रसव
पर दो जु़ड़वा बच्चियां
जन्म
लेती हैं तो,
जुड़वा
बच्चियों को इस योजना का लाभ
दिया जावेगा।
8
यदि
परिवार ने अनाथ बालिका को गोद
लिया हो तो उसे प्रथम बालिका
मानते हुए योजना
का लाभ दिया जावेगा।
इस
योजना का लाभ लेने के लिये
अपने गांव/
मोहल्ले
या समीप की आंगनवाड़ी केन्द्र
में संपर्क कर आवेदन करना
होगा। आवेदन पत्र के साथ
निर्धारित समस्त दस्तावेज
संलग्न करने होंगे। अनाथ
बालिका की दशा में संबंधित
अनाथालय/
संरक्षण
गृह के अधीक्षक द्वारा बालिका
के अनाथालय में प्रवेश के 1
वर्ष
के अंदर तथा बालिका की आयु 6
वर्ष
होने के पूर्वसंबंधित परियोजना
अधिकारी को आवेदन करना होगा।
4.समेकित
बाल विकास परियोजना
मध्य
प्रदेश सरकार ने बच्चों मानसिक,
शारीरिक
और सामाजिक विकास की नीव डालने
एवं बाल विकास को प्रोत्साहन
देने के लिए विभिन्न विभागों
के बीच नीति तथा मार्गदर्शन
में प्रभावशाली समन्वय मेल-जोल
स्थापित करने समेकित बाल विकास
परियोजना सभी आंगनबाड़ी
केन्द्रों में स्थापित की
जाएंगी । जहां पर 0-6
वर्ष
के बच्चों,
गर्भवती,
धात्री,
;केवल
6 माह
तक दूध पिलाने वालीद्ध महिलाओं
को निम्नलिखित 6
प्रकार
की सेवायें दी जाती है।
1.
अनौपचारिक
शिक्षा 3
से
6 वर्ष
तक क बच्चों के लिए।
2.
टीकाकरण
शिक्षा सभी बच्चे व गर्भवती
महिलाओं के लिए।
3. पूरक
पोषण आहार 6
माह
से 6
वर्ष
क बच्चे,
गर्भवती,
धात्री
के लिए।
4.
स्वास्थ्य
जाॅंच सभी बच्चे,
गर्भवती,
एवं
धात्री के लिए।
5.
स्वास्थ्य
संदर्भ सेवा सभी बच्चे,
गर्भवती,
एवं
धात्री के लिए।
6.
स्वास्थ्य
पोषाहार शिक्षा 15
से
45 वर्ष
के आयु की महिलाओं के लिए है।
इन
योजनाओं से निम्नलिखित
उद्देश्यों की पूर्ति होती
है ।
1. 0-6
वर्ष
की आयु के बच्चों को पौष्टिकता
तथा स्वास्थ्य स्तर को बढ़ावा।
2.
बच्चों
की सही मानसिक,
शारीरिक
और सामाजिक विकास की नीव डालना।
3.
बच्चों
कि मृत्यु दर,
कुपोषण
तथा पाठशाला को छोड़ने की
प्रवृत्ति को कम करना।
4.
माताओं
में ऐसी भावना का विकास करना
जिससे वे बच्चों के सामान्य
स्वास्थ्य तथा उने आहार
संबंधी
आवश्यकताओं का स्वास्थ्य और
पोषण शिक्षा की सहायता से
ध्यान रख सके।
5 बाल
संजीवनी अभियान
कुपोषण
से बचाव एवं निदान हेतु मध्यप्रदेश
सरकार ने सभी आंगनवाडी केंद्रो
में कुपोषण से निपटने बच्चे
के वजन टीकाकरण ,
गर्भवती
स्त्री के पोषण हेतु यह योजना
चलाई है । जहां पर आंगनवाडी
स्थित नहीं है वहां पर गांव
में सार्वजनिक स्थल पर योजना
का क्रियान्वयन किया जाता है
। कुपोषण से तात्पर्य भोजन
में पोषक तत्वों की कमी से
शरीर में जो लक्षण उत्पन्न
होते है। जैसे वजन न बढ़ना।
बालों का रंग भूरा हो जाना,
बच्चे
का चिढ़-चिढा
करना व रोते रहना आदि है । प्रथम
अभियान नवम्बर 2001
में
प्रारंभ किया गया था ।
इस
अभियान के अन्र्तगत निम्नलिखित
सुविधाएं प्रदान की जाती हैं
1 वजन
0 से
5 वर्ष
के बच्चे,
गर्भवती
2
टीकाकरण
0 से
5 वर्ष
के बच्चे,
3 गर्भवतीविटामिन
‘‘ए’’ का घोल-9
माह
से 5
वर्ष
के बच्चों को पिलाना।
4 स्वास्थ्य
परीक्षण -बच्चे
व गर्भवती
6 स्व
सहायता समूह योजना
इस
योजना के अंतर्गत 10-20
महिलाओं
का समूह बनाकर उन्हें प्रोत्साहित
किया जाता है। बचत राशि के
आधार पर उन्हें बैंक से लिंक
कर उन्हें कर उन्हें विभिन्न
आर्थिक गतिविधियों हेतु ऋण
प्रदान की कार्यवाही की जाती
है।
योजना
का उद्देश्य महिलाओं का समाजिक,
आर्थिक
विकास कर उनका सशक्तिकरण करना
है। गरीब महिलाओं की छोटी-मोटी
जरूरतों को पूरा करने,
उन्हें
संगठित करने,
उनका
सामाजिक आर्थिक विकास कर इनका
सशक्तिकरण करने की योजना है।
7 मंगल
दिवस योजना
महिला
बाल विकास विभाग द्वारा अप्रैल
07 से
मंगल दिवस योजना का प्रारंभ
किया गया है। प्रत्येक आंगनबाड़ी
केन्द्र में प्रत्येक माह के
प्रति मंगलवार को विभिन्न
प्रकार की गतिविधियां आयोजित
की जावेगी जो निम्नानुसार
है।ः-
गोद
भराई कार्यक्रमः-
माह
के प्रथम मंगलवार को आंगनबाड़ी
केन्द्रों में पंजीकृत गर्भवती
महिलाओं को 6
माह
का गर्भ होने पर आंगनबाड़ी
केन्द्रों में समारोह पूर्वक
कार्यक्रम आयोजित कर गर्भवती
महिला की गोद भराई रस्म कर
श्रीफल,
सिन्दूर,
चूड़ी,
बिंदी,
आदि
भेंट स्वरूप दी जावेगी।
कार्यक्रम हेतु प्रतिमाह
50/-
प्रति
आंगनबाड़ी केन्द्र के मान से
राशि उपलब्ध करवाई जावेगी।
अन्नप्रसान
कार्यक्रम:-
माह
के द्वितीय मंगलवार को आंगनबाड़ी
केन्द्रों में पंजीकृत प्रत्येक
वह बच्चा जिसकी उस माह आयु
पूर्ण चुकी हो ऐसे बच्चों को
आंगबाड़ी केन्द्र में समारोह
पूर्वक कार्यक्रम आयोजित कर
बच्चों का अन्नप्रसान प्रारंभ
कर कटोरी,
चम्मच
भेंट स्वरूप दी जायेगी कार्यक्रम
हेतु प्रतिमाह 50/-
प्रति
आंगनबाड़ी केन्द्रों के राशि
उपलब्ध करवायी जावेगी।
जन्मदिवस
कार्यक्रमः-
माह
के तृतीय मंगलवार को आंगनबाड़ी
केन्द्रों में पंजीकृत 1
से
6 वर्ष
की आयु के समस्त ऐसे बच्चे
जिनका उस माह में जन्म दिवस
हो,
को
समारोह पूर्वक कार्यक्रम
आयोजित कर जन्म दिवस आंगनबाड़ी
केन्द्रों में मनाया जाकर
ऐसे बच्चों को पेन्सिल,
चित्रकारी
युक्त किताब,
रबर,
पानी
की बाटल आदि गिफट आयटम भेंट
स्वरूप दिया जायेगा। कार्यक्रम
हेतु प्रतिमाह 50/-
प्रति
आंगनबाड़ी केन्द्रों के मान
से राशि उपलब्ध करवाई जावेगी।
1ण्
किशोरी बालिका दिवसः-
माह
के चतुर्थ मंगलवार को आंगबाड़ी
केन्द्र दर्ज किशोरी बालिकाओं
का उक्त दिवस रंगोली निर्माण,
सामान्य
ज्ञान एवं खेलकूद प्रतियोगिताओं
या अन्य कोई रूचिकर कार्यक्रम
का आयोजन किया जायेगा। साथ
ही आयरन,
फलोरिक,
एसिड
गोलियों का वितरण किया जावेगा।
8 किशोरी
शक्ति योजना
किशोरी
बालिकाओं को स्वास्थ्य,
संतुलित
भोजन व आर्थिक स्वावलंबन का
प्रशिक्षण दिया जाता है।
किशोरी बालिकाएॅं 11
से
18 वर्ष
तक को प्रशिक्षण देने का प्रमुख
लक्ष्य एनीमिया में कमी लाना
एवं पारिवारिक जीवन में शिक्षा
के महत्व को प्रतिस्थापित
करना है ताकि किशोरियों को
स्वास्थ्य,
नियोजन
के लाभ एवं कुपोषण की समस्या
के संबंध में पता चल सके ताकि
भविष्य में किशोरी कुशल गृहणी
बन सके।
9 जावाली
योजना-
वैष्यावृत्ति
उन्मूलन हेतु जावाली योजना
का संचालन किया जाता है । योजना
अंतर्गत जिले में अशासकीय
संस्था के माध्यम से आश्रम
शाला का संचालन किया जाकर
बेडिया/बांछडा
सासी समुदाय के बालक बालिकाओं
को कक्षा 5वी
तक निःशुल्क शिक्षा सस्त्र,पुस्तकें
भोजन आवास सुविधा उपलब्ध करायी
जा रही है ।
10 उषा
किरन योजना-
घरेलू
हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम
2005
नियम
2006 के
अंतर्गत पीडिता को अधिनियम
एवं नियमों के प्रावधान के
तहत सभी सहायता निशुल्क उपलब्ध
कराई जाएगी । सहायता के लिए
अपने पास क आंगनवाडी केंद्र/
परियोजना
अधिकारी ,
संरक्षण
अधिकारी एकीकृत बाल विकास
सेवाए/पुलिस
परामर्श केंद्र/
क्षेत्रीय
थाना प्रभारी/
जिला
कार्यक्रम अधिकारी/
जिला
महिला एवं बाल विकास अधिकारी
महिला एवं बाल विकास विभाग
एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
में आवेदन दिया जा सकता है ।
11 अति
गरीब महिलाओं को प्रसव पूर्व
आर्थिक सहायता
आति
गरीब महिलाओं को प्रसव पूर्व
आर्थिक सहायता के लिए यह योजना
संचालित है इसका उद्देश्य
अति गरीब महिलाओं को प्रसव
पूर्व स्वयं ही देखभाल और
प्रसव के लिए होने वाले व्यय
की कुछ हद तक प्रतिपूर्ति की
जाना है । इसका लाभ अति गरीब
महिला को जिसकी उम्र 19
वर्ष
से अधिक हो तथा उसके केवल प्रथम
दो जीवित बच्चे हो एवं उसका
परिवार गरीबी रेखा के नीचे
अत्यंत गरीब हो ऐसी महिलाओं
को सहायता राशि 500/-
रू.
प्रसव
के 6
माह
पूर्व दी जावेगी ।
---00---
भारत
सरकार की मनरेगा योजना
यह
योजना अनुसूचित जात,अनुसूचित
जनजाति और बरीबी
रेखा
से नीचे की भूमिहीन आबादी जो
पहले अमीर भूस्वामियो के खेतो
में
बंधुआ मजदूर के रूप में काम
करती थी,मनरेगा
की योजनाओं के कारण भू-स्वामियोके
चंगुल सेमुकत हो चुकी हैं ।
मनरेगा
योजना देश के 625
जिलों
में लागू हैं । ग्रमीण विकास
मंत्रालय के तहत मनरेगा पिछले
दशक में भारत सरकार की बहुत
ही क्रातिकारी योजनाओं में
से एक है । यह भारत के ग्रामीण
परिवारों की 25
फीसदी
आबादी को रोजगार उपलव्ध कराता
है ।
इस
योजनाके अंतर्गत लोगों को
अधिक मजदूरी मिले और गरिमा
तथा आत्म सम्मान के साथ जीने
लगे । उनकी जीवन शेली में
सुधर
हुआ वे अच्छा स्वास्थ ,अच्छे
कपड़े और बहतर हुये ,अहार
व्यवहार
काआनंद
उठाने लगे ।
अपने
कानूनी ढांचे औरअधिकार आधारित
दृष्टिकोण के साथ
मनरेगा
का उद्वेश्य प्रत्येक परिवार
को एक वित्त वर्ष में 100
दिनो
की मजदूरी की गारंटी वाला
रोजगार उपलव्ध कराने के जरिये
उनकी अजीविका बढ़ाना है । इन
ग्रामीण परिवारों के व्यस्क
सदस्य स्वैच्छिक गैर प्रशिक्षित
हाथ का कार्य करते हैं ।
मनरेगा
के तहत ग्रामीण परिवारों को
अनुमानित 128
लाख
करोड रूपये सीधे मजदूरी भुगतान
के रूप में दिये जा चुके हैं
और वर्ष
2008
के
हर साल करीब पांच करोड परिवारो
को रोजगार उपलव्ध कराया जा
रहा है ।
केन्द्र
सरकार ने शिक्षा पहुंची
द्वार-द्वार
सबके लिये शिक्षा
कार्यक्रम
लगभग आठ साल से चलाया जा रहा
हेै जिसमें 14
लाख
स्कूलो में 20
करोड़
बच्चों को शिक्षण सुविधा पदान
की जाती है,जिसमें
विशेष
कर अनुसूचित जाति,
अनुसूचित
जनजाति और अल्प संख्यको पर
ध्यान
रखा जाता है । लड़कियो की शिक्षा
पर विशेष जोर दिया जाता है।जिसमें
3,60,000
लड़कियाॅ
शिक्षा पा रही है इस स्कूल में
छटी ो आंठवी तक की छात्राओं
के लिये छात्रावास की व्यवस्था
है । शैक्षणिक
रूप
से पिछडे हुये जिलों में इस
तरह के स्कूल चलाये जाते हें
इन स्कूलों की तदाद 29
फीसदी
स्कूल अनुसूवित जाति ,26
प्रतिशत
स्कूल
अनुसूचित
जनजाति,
26 प्रतिशत
स्कूल पिछड़े वर्ग,
9 प्रतिशत
स्कूल अल्प संख्यकों और 10
पतिशत
स्कूल बी0पी0एल0
नीिवारों
की छात्राओं के लिये चजाये
जा रहे हैं ।
एन0सी0आर0टी0
के
दो बार हुये सर्वेक्षण में
यह बात सामने आई है कि इन स्कूलों
में लड़कियों की सीखने की
क्षमता में बहुत अधिक
सुधार
हुआ है । कूलमिलाकर तस्बीर
यह सामने आई रही है कि ग्रामीण
क्षेत्रों
के लड़के लड़कियों की उपलव्धियों
का फासला शहरी लड़के लड़कियों
के मुकाबले बहुत कम हुई है ।
मान्नीय
सर्वोच्य न्यायालय द्वारा
दुष्कर्म क्रूरता की जांच के
संबंध में निम्नलिखित दिशा
निर्देश पुलिस को जारी किये
गये हैं ।
दुष्कर्म
के मामलों में संवदेनशीलता
के साथ व्यवहार किये जाये ।
वरढि़त
की जांच महिला डाक्टर
करे,मनोचिकित्सक
की सुविधा दी जावे ।
मेडीकल
रिपोर्ट तत्काल बने,
आयु
का आंकलन दांतो की संख्या,रेडियोलाईजिस्ट
टेस्ट की रिपोर्ट साथ में हो
।
पीडि़त
को तत्काल उपचार की सहायता
प्रदान की जावे ।
पुलिस
जांच अधिकारी को पीडि़ता का
कथनपरिवार के किसी सदस्य के
सामने उसकी सुविधा अनुसार ले
।
प्रकरण
की जांच शीघ्र पूरी हो ,
ता
कि आरोपी को भा0दं0सं0
की
धारा 167-2
का
लाभ जमानत में प्राप्त न हो
।
महिलाओं
का यौन उत्पीड़न:-प्रतिकर
एंव पुर्नवास के लिये मार्गदर्शक
सिद्वांत
मान्नीय
उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण
निर्णय दिल्ली
डोमेस्टिक
बर्किंग विमेन्स बनाम यूनियन
बैंक आॅफ इंडिया के मामले में
महिलाओं
के साथ बढ़ते हुये यौन अपराधो
के प्रति गंभीर चिन्ताव्यक्त
की
हैं
और ऐसे मामलों के शीघ्र परीक्षण
तथा उन्हें प्रतिकर प्रदान
करने एंव
उनके
पुर्नवास के लिये विस्तृत
मार्गदर्शक सिद्वांत विहित
किया है । प्रस्तुत मामले में
दिल्ली श्रमजीवी फोरम ने
लोकहित वाद के माध्यम से
चार
घरेलू श्रमजीवी महिलाओं के
साथ सात सेना के जवानो के द्वारा
यौन
उत्पीड़न की घटना को न्यायालय
के समक्ष प्रस्तुत किया । उक्त
घटना
उस समय घटी थी जब वे महिलाऐं
रेल गाड़ी से रांची से दिल्ली
जा
रही थी ।
मान्नीय
उच्चतम न्यायालय के तीन
न्यायमूर्तियों की खण्डपीठ
ने ऐसी महिलाओं को प्रतिकर
प्रदान करने तथा उनके पुर्नवास
के लिये निम्नलिखित मार्गदर्शक
सिद्वांत विहित किए हें:-
1- योन
शोषण के शिकायतकर्ताओ को वकील
के रूप में विधिक सहायता दिया
जाना चाहिये जो आपराधिक न्याय
प्रणाली से भलिभांती परिचित
हों । उसे पीडि़त व्यकित को
कार्यवाहियों के बारे में
पूरी जानकारी देना चाहिये
तथा पुलिस स्टेशन तथा न्यायालय
में साहयता ही नहीं देना चाहिये
बल्कि यह भी बताना चाहिये कि
अन्य प्रकार की सहायता कैसे
प्राप्त की जा सकती हे जैेसे
मानसिंक परामर्श
या
चिकित्सा सहायता आदि । निरतंरता
बनाये रखेने की दृष्टि से उसी
बकील को मामलेको अन्त तक निपटाना
चाहिये ।
2- पुलिस
सटेशन पर सहायता देना आवश्यक
है क्योंकि पीडि़त व्यक्ति
वहां घवराया रहता है । ऐसे समय
अधिवकता की सहायता उसके लिये
अत्यन्त आवश्यक है ।
3- पुलिस
को प्रश्न पूंछे जाने के पूर्व
पीडि़त व्यकित को विधिक
प्रतिनिधित्व
केअधिकार की जानकारी देना
चाहिये और पुलिस रिपोर्ट में
इसका
उल्लेख किया जाना चाहिये कि
पीडि़त व्यक्ति को इसकी सूचना
दी गई थी ।
4- पुलिस
सटेशन पर अधिवक्ताओं की सूवी
होनी चाहिये जो
जोऐसे
मामलो में स्वेच्छया से
कार्यकरना चाहते हें ,जहां
पडि़त व्यक्ति का अधिवक्ता
उपलव्धनहीं हे या उसे किसी
के बारे में जानकारीनहीं है
।
5- अधिवक्ता
की नियुक्ति पुलिस के आवेदन
पर न्यायालय
द्वारा
यथा सभंव शीघ्र की जायेगी ।
किन्तु यह सुनिश्चित करने के
लिये
कि
पीडि़त व्यक्ति से बिलम्ब
किये बिना प्रश्न पूंछे जाये
अधिवक्ता को
न्यायालय
की पूर्व अनुमति के बिना भी
कार्य करने के लिये अधिकार
होगा ।
6- बलात्कार
के सभी मामलों में पीडि़त
व्यक्ति की पहचान को न खुलना
बनाया रखा जायेगा ।
7- अनुच्छेद
38-1 के
अधीन नीति निदेशक तत्वों को
ध्यान में
रखते
हुये आपराधिक क्षति प्रतिकर
बोर्ड का गठन कियाक जाएगा ।
बलात्कार से पीडि़त व्यक्ति
प्रायः बहुत अधिकवित्तीय
हानि उठाता है ।
इनमें
से कुछ तो सेवा जारी करने में
असाहय होते हैं ।
8- न्यायालय
द्वारा पीडि़त व्यक्ति को
प्रतिकर अपराधी के सिद्वदोष
घोषित किये जाने पर पदान किया
जायेगा तथा आपराधिक क्षतियाॅ
प्रतिकर बोर्ड द्वारादी जायेगी
चाहे अपराधी सिद्वदोष घोषित
किया गया होया नहीं । बार्ड
बलात्कार के परिणाम स्वरूप
हुए कष्ट पीड़ा और घक्का तथा
गर्भधारण करने के कारण आय में
कमी या बच्चे के जन्म पर
हुये
खर्च यदि वह बलात्कार के परिणाम
स्वरूप हुई हो ,पर
विचार करेगा
न्यायमूर्तियों
ने ऐसे मामलों के परीक्षणके
लिये भारतीय आपराधिक प्रणाली
में व्याप्त दोषों को भी इंगित
किया और उसमें सधार किये जाने
का सुझाव दिया । ऐसे मामलो के
परीक्षण पर उचित ध्यान
नहीं
दियाजाता है । प्रायः पुलिस
द्वाराउनकी प्रतिष्ठा को ठेस
पहुंचाई जाती है । पीडि़त
वयक्तियों को यह कहते पाया
जाताहै कि बलात्कार का परीक्षण
बलात्कार से अधिक बुरा होता
है ।
योन
कर्मियों के पुर्नवास,
उन्हें
तकनीकी प्रशिक्षण दिये जाने
तथा रोजबगार प्रदान करने के
दिशा निर्देश दिये गये हैं ।
बोधदेव कर्मकार विरूद्व पश्चिम
बंगाल राज्य ए0आई0आर0
2011 एस0सी0
में
कहा गया है कि बलात्कार पीडि़त
महिला को अंतरिम प्रतिकर पाने
का
अधिकार
प्राप्त है ।
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