निशुल्कऔरअनिवार्यशिक्षाकाअधिकारअधिनियम2009
भारत के संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को जीवन जीने काअधिकार दिया गया है । सन् 2002 में भारत सरकार द्वारा इसअधिकार में शिक्षा का अधिकार शामिल कर लिया गया । इसके तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों करे मुफत और अनिवार्य शिक्षा उपलव्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है ।
भारत के संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को जीवन जीने काअधिकार दिया गया है । सन् 2002 में भारत सरकार द्वारा इसअधिकार में शिक्षा का अधिकार शामिल कर लिया गया । इसके तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों करे मुफत और अनिवार्य शिक्षा उपलव्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है ।
इमारे
देश की ससंद ने बच्चों को
निशुल्क और अनिवार्य शिक्षाका
अधिकार अधिनियम ,1
अप्रेल
2009
का
लागू किया है इसकेबाद
कागजी रूप से ही सही पर भारत
उन 130
से
अधिक देशोंकी
जमात में शामिल हो गया है ,जो
अपने देश में बच्चों कोनिशुल्क
शिक्षा उपलव्ध कराने के लिये
कानून से बंधे हैं । यह
एक कानून है ,जिसे
केन्द्र सरकार द्वारा लागू
किया गया है ।
1------- इस
कानून में कहा गया हे कि6
से
14
साल
तक के हर बच्चे कोचाहे
वह बालक हो या बालिका,
प्राथमिक
शिक्षा कक्षा-1
से
8बींतक
की शिक्षा प्राप्त करने का
अधिकार है । यह शिक्षा सरकारद्वारानिशुल्क
ओर उनके घर के नजदीक के विधालय
में उपलव्धकराई
जाएगी ।
2-------- 6 से
11
साल
तक की उम्र के सभी बालक,बालिकाओं,अनुसूचितजाति
,अनुसूचित
जनजाति सामाजिक ओर आर्थिक
रूप से पिछड़ेपरिवारो
के बच्चे गरीबी रेखा से नीचे
जीवन यापन करने वालेपरिवारों
के बच्चे ओर बिकलांग बच्चे
आदि सभी को निशुल्क औरअनिवार्य
शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार
हमारे देशके कानून मेंदिया
है ।
3--------- कक्षा
8बीं
तक अब हर बालक ,बालिकाओं
को शिक्षा प्राप्त करनेका
अधिकार है । इसके लिये स्कूल
द्वारा बच्चों सेकोई फीस/शुल्क
/व्यय
नहीं लिया जाएगा ।
निशूल्क
से तात्पर्य है कि स्कूल द्वारा
किसी बच्चे से ऐसी कोई
फीस
शुल्क या व्यय नही लिया जाएगा
जो उस बच्चे को प्रारंभिंक
शिक्षा
पूरी करने में बाधक हो ।
अनिवार्य
शिक्षा से मतलब है कि 6
से
14
साल
तक की उम्र के
सभी
बच्चों को स्कूल में प्रवेश
दिया जाएगा ,यानि
स्कूल में उनका
नाम
दर्ज किया जाए ।
सभी
बच्चों को स्कूल में शत प्रतिशत
उपस्थिति हो यानी बच्चे
नियमित
स्कूल जाए और अपनी कक्षा के
स्तर के अनुसार पढ़ना
लिखना
सीखें । उन बातों को पूरा करने
की जिम्मेदारी सरकार कीहै
।
इस
कानून के अनुसार जो स्कूल
सरकार के अधीन है,
उसे
निर्धारित
सीमा तक बालक/बालिकाओं
को निशुल्क प्रवेश दने
की
बाध्यता है । इस कानून के अनूसार
बालक/बालिका
को किसी
स्कूल में प्रवेश देते समय
कोई शुल्क जैसे दान,चंदा,व्यय,
आदि
नहीं लिया जाएगा ।
यदिकोई
विधालय/स्कूल
इनबातो का उल्लघंन करता हे
यानि
बच्चों
से या उसके माता पिता ,अभिभावक
से कोई शुल्क,व्यय,
प्राप्त
करता है तो उस व्यक्ति या
विधालय/स्कूल
को जर्माने से
दडित
किया जाएगा। यह जुर्मानावसूली
गई फीस या शुल्क से
10
गुना
तक हो सकता है ।
स्कूल
में प्रवेश देने से पहले
बालक/बालिका,
माता
पिता या
संरक्षक
का साक्षात्कार या प्रवेश
परीक्षा नहीं ली जाएगी ।
यदि
कोई स्कूल या व्यक्ति किसी
भी बालक/बालिका
को इस
प्रक्रियाके
अधीन रखता है तो पहली बार
उल्लघंन के लिये 25,000
रूपये
एंव यदि इसके बाद भी शिकायत
मिलती है तो 50,000/-
रूपये
तक के जुर्माने से दंडित किया
जाएगा ।
ग्रामीण
क्षेत्र मेंग्राम पंचायत एंव
नगरीय क्षेत्र में नगरीय
निकाय
जैसे
नगर पालिका नगर निगम औरनगर
पंचायत द्वारा पलायन
या
बाहर जाने बाले परिवारों का
चिन्हित किया जाएगा।
ऐसे
परिवारो की सूची बनाई जाएगी
ओर उन परिवारों के बच्चो
को
स्कूल में दर्ज कराया जाएगा
। साथ ही बिकलांग वच्चों को
भी
अपने नतदीक के स्कूल में भर्ती
कियका जाएगा ।
इन बच्चोंका शिक्षा ओर सीखने से संबंधित विशेष सहायक सामग्री उपलव्धकराई जाएगी और यदि स्कूल दूर है या बिकलांग बच्चे को स्कूलतक जाने में दिक्कत है तो ऐसे बच्चों को स्कूल तक आने जानेके लिये वाहन की व्यवस्था की जाएगी । हर स्कूल में रेम्प (आनेजाने के लिए ढाल वाला रास्ता) बनाया जाएगा ता कि बिकलांगबच्चों को स्कूल के अंदर आने में असुविधा न हो ।
इन बच्चोंका शिक्षा ओर सीखने से संबंधित विशेष सहायक सामग्री उपलव्धकराई जाएगी और यदि स्कूल दूर है या बिकलांग बच्चे को स्कूलतक जाने में दिक्कत है तो ऐसे बच्चों को स्कूल तक आने जानेके लिये वाहन की व्यवस्था की जाएगी । हर स्कूल में रेम्प (आनेजाने के लिए ढाल वाला रास्ता) बनाया जाएगा ता कि बिकलांगबच्चों को स्कूल के अंदर आने में असुविधा न हो ।
जिन बच्चों को6वर्ष से अधिक उम्र होने पर स्कूल में दर्ज किया जाए और वे 14 वर्ष तक अपनी प्रारभिंक शिक्षा(कक्षा 8बीं )पूरी नहीं कर पाये तो 14 साल से ज्यादा उम्र होने पर भी उन्हंे निशुल्क ओर अनिवार्य शिक्षाप्राप्त करने का अधिकार मिलेगा ।
इस
कानून के क्रियान्वयन में
बच्चों के माता पिता और
अभिभावको
की भूमिका महत्वपूर्ण है क्यों
कि इन लोगों में से ही
स्कूल
प्रबंधनसमिति का गठन किया
जाएगा। यह समिति स्कूल कीवार्षिक
योजना बनाएगी और स्कूल की
नियमित गतिविधियों जैसेस्कूल
का समय पर खुलना बंद होना,
स्कूल
में पढ़ाई होना,
बच्चोंका
अपने शिक्षा स्तर के अनुसार
सीखना ,पालको
के साथ हरमहिने
बैठक होना ,मध्यान्ह
भोजनआदि बातों की देखरेख करेगी
।
प्रत्येक
माता पिता और अभिभावक का यह
कर्तव्य है कि वे अपने
वह
अपने बच्चंे को प्रारभिक
शिक्षा के लिये आस पास के स्कूल
मेंप्रवेश
दिलाएं,नियमित
स्कूल भेंजे ,ओर
उसकी प्रारभिंग शिक्षा पूरीकराऐं
। बच्चों के माता पिता और
अभिभावक यदि बच्चे को स्कूलन
भेजें तो उन पर कोई दण्ड या
जुर्माना नहीं लगाया जाएगा
।फिर
भी मातापिता और अभिभावक का
यह कर्तव्य है कि वे अपने
बच्चे
को स्कूल में प्रवेश कराएं,
उसको
नियमित स्कूल भेंते और
प्राथमिक
शिक्षा पूरी कराएं ।
इस
कानून के क्रियान्वयन में
ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत
औरनगरीय
क्षेत्रों में नगरीय निकायों
को कई जिम्मेदारिया सोंपी
गई है
जो
निम्नलिखित हैं:-
1- अपने
पंचायत क्षेत्र में प्रत्येक
बच्चे बालक बालिका को नि-
शुल्क
और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त
कराना ।
2- इसकानून
में तय किये गये मापदंड के
अनुसार पड़ोस में
स्कूल
उपलव्ध कराना यानि वस्ती के
एक किलोमीटर की दूरी के
अंदर
प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर
की दूरी के अंदर
माध्यमिक
स्कूल उपलव्ध कराना ।
3 यह
सुनिश्चित होगाकि किसी अनुसूचित
जाति ,अनुसूचित
जनजाति
अन्य पिछड़ा बर्ग ,बी0पी0एल0
परिवार
के बच्चे बालिका
और
बिकलांग बच्चों के साथ किसर
स्कूल में किसी तरह का भेद
भाव
न हो और न ही कोई ऐसीबात हो जो
किसी बच्चे की प्रारंभिक
शिक्षा को पूरा करने में बाधक
हो ।
4 हर
ग्राम पंचायत ओर नगरीय निकाय
अपने क्षेत्र में निवास
करने
वाले 6
से
14
साल
तक की उम्र के बच्चों कर रिकार्ड
रखना
हर
पंचायत या नगरीय निकाय यह तय
करेगे कि उनकी
सीमा
में रहने वाले सभी बच्चे स्कूल
में प्रवेश लें ,नियमित
स्कूल
जाएं
और अपनी आठबीं तक शिक्षा पूरी
करें ।
5 अपनी
पंचायत क्षेत्र में बच्चों
की शिक्षा के लिये स्कूल भवन
शिक्षक
एंव शिक्षण सामग्री जैसर
सुविधाऐं उपलब्ध कराना ।
स्कूल
के मानको के अनुसार प्रारभिंक
शिक्षा की गूणबत्ता
को
सुनिश्चित करना ।
6 यह
तय करना कि प्रारंभिक शिक्षा
का पाठयक्रम समय पर
पूरा
किया जाए ।
7 शिक्षको
के लिय प्रशिक्षण की सुविधा
उपलव्ध कराना ।
।
।
8 प्रवासी
परिवार ऐसे परिवार जो मजदूरी
आदि के लिये दूसरे
स्थान
पर जातें हैं के बच्चों के
स्कूल प्रवेश को सुनिश्चित
किया
जायेगा।
इसके अलावा यह भी देखा जायेगाकि
स्कूल जाति वर्ग
धर्म
या लिंग आधारित भेदभाव न किया
जाये और अनुसूचित जातिअनुसूचित
जनजाति ,बी0पी0एल0
परिवार
और बिकलांग वच्चों केसाथ
कक्षा में मध्यान्ह भोजन के
समय खेल में पीने का पानी ओरशौचालय
के उपयोग में किसी तरह का भेदभाव
न किया जाए,औरशौचालय
या कक्षा की सफाई करने में भी
किसी तरह का भेदभावन
किया जाए ।
8 इस
कानून के अनुसार किसी बच्चे
को किसी तरह का शारीरिक
दण्ड जैसे मारपीट,मुर्गा
बनाना ,बेंच
पर ,खड़ा
करना आदिऔर
मानसिंक उत्पीड़न जैसे-
जाति
,धर्मसूचक
शब्द ,शारीरिकबिकलांगता
के शव्द का प्रयोग किसी तरह
से नहीं किया जा सकताहै
। यदि किसी शिक्षक के द्वारा
किसी बच्चे को शारीरिक दंड
यामानसिंक
उत्पीड़न किया जाता है तो एसे
शिक्षक/शिक्षिका
केखिलाफ
अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी
।
9 निशुल्क
और अनिवार्य शिक्षा के लिये
निजी स्कूलो में 25
प्रतिशत
शीट नजदीक रहने वाले अनुसुचित
जाति,
अनुसूचित
जन
जाति,अन्य
पिछड़ा वर्ग ,वचिंत
वर्ग एंव गरीबी रेखा के नीचे
रहने
वाले
परिवारों के बच्चों के लिये
आरक्षित की गई है ।।
10 विशेष
तरह के स्कूलो जैसे केन्द्रीय
विधालय,
नवोदय
विधालय
,सैनिक
विधालय में 25
प्रतिशत
सीट पर स्थानीय,अनुसूचितजाति
,अनुसूचित
जनजाति ,बी.पी.एल.
परिवार
के बच्चों एंव बिकलांगबच्चो
को प्रवेश दिया जाएगा । साथ
ही प्रायवेट विधालय द्वारा
स्कूलमें
प्रवेश दिये जाने पर इन
बालक/बालिकाओं
से कोई शुल्क याफीस
नहीं ली जायेगी ।
किसी
भी बालक/बालिका
के पास आय का सबूत हो या
न
हो उसे प्रवेश दिया जायेगा ।
जन्म
प्रमाण पत्र न होने पर विधालय/स्कूल
बच्चे को स्कूल
में
प्रवेश देने से मना नहीं किया
जा सकता है ।
6 से 14 साल केउम्र के किसी भी बालक/बालिका को स्कूल में प्रवेश देने सेमना नहीं किया जासेगा । लेकिन जन्म का पंजीयन या प्रमाण होनाबच्चे और अभिभावक दोनो के हित में है क्योंकि इस प्रमाण पत्र काउपयोग बच्चे के द्वारा आजीवन विभिन्न कानूनी प्रक्रिया को पूरा करनेकि लिये कियाजाता है । यह पत्र उसके जन्म एंव जीवित होने काएक कानूनी आधार होता है ।
6 से 14 साल केउम्र के किसी भी बालक/बालिका को स्कूल में प्रवेश देने सेमना नहीं किया जासेगा । लेकिन जन्म का पंजीयन या प्रमाण होनाबच्चे और अभिभावक दोनो के हित में है क्योंकि इस प्रमाण पत्र काउपयोग बच्चे के द्वारा आजीवन विभिन्न कानूनी प्रक्रिया को पूरा करनेकि लिये कियाजाता है । यह पत्र उसके जन्म एंव जीवित होने काएक कानूनी आधार होता है ।
शिक्षा
सत्र के प्रारंभ होने के समय
जुलाई मेे या दसके बाद
कभी
भी बच्चे को स्कूल में प्रवेश
दिया जा सकता है ।
जिन
बच्चो को बाद में प्रवेशदिया
जायेगा उन बच्चों की
क्षमता
एंव कौशल बढ़ाने के लिये विशेष
प्रशिक्षण दिया जायेगा ।
स्कूल
में छात्र एंव शिक्षक अनुपात
के लिये कक्षा पहली से
से
पांचवी तक 30
बालक
/बालिको
की कक्षा पर एक शिक्षक या
60
बालक/बालिकों
की कक्षा के लिये दो शिक्षक
होगे ।
कक्षा
छटबीं से आठवीं कक्षा के
प्रत्येक बालक/बालिकाओं
पर
कम से कम एक शिक्षक और प्रत्येक
विषय गणित,विज्ञान,
सामाजिक
अध्ययन एंव भाषा विषय के लिये
एक-एक
शिक्षक होगा ।
इस
कानून के अनुसार शत्र शुरू
होने से 6माह
कि अंदर
यह
छात्र शिक्षक अनुपात पूरा कर
लिया जायेगा ।
एक
शैक्षणिक वर्ष में कक्षा पहली
से पांचवी तक 200
कार्य
दिवस
तय किये गये हैं यानि 200
दिन
स्कूल में पढ़ाई की जायेगी
यानि
साल भर में कम से कम 800
घंटे
स्कूल में पढ़ाई होगी ।
कक्षा
छटवीं से आठवी तक के स्कूल के
लिये साल में 220
कार्य
दिवस तय किये गये हैं । यानि
220
दिन
स्कूल में पढ़ाई होगी
सानि
साल में कम से कम 1000
घंटे
पढ़ाई की जायेगी ओर सप्ताह
में
कम से कम 45
घंटे
पढ़ाई की जायेगी ।
स्कूल
के काम काज की देख रेख करना
यानि स्कूल समय
पर
खुले ,समय
पर बंद हो,
स्कूल
में पढ़ाई हो,
ओर
बच्चे कक्षा स्तर
के
अनुसार सीखें ।
स्कूल
के लिये विकास की योजना तैयार
करन और उसकी
सिफारिश
करना ।
6
से
14
साल
की उम्र के सभी बच्चों को नियमित
स्कूल
में
आने के लिये उनके अभिभावको
को प्रेरित करना ।
बच्चों
के माता पिता ओर अभिभावको के
साथ नियमित बैठक
करना
ओर यह देखना कि कोई शिखक प्राईवेट
टयूशन या प्राईवेट
शिक्षण
कार्य ना करे । सकूल में बच्चो
के साथ मारपीट और मानसिंक
उत्पीड़न न हो मध्यान्ह भोजन
कार्यक्रम की देखरेख हो ।
प्रारभिक
शिक्षा पूरी होने का प्रमाण
पत्र दिया जायेगा । यह प्रमाण
पत्र
सिर्फ कुछ विषयो पर पर क्रेन्द्रित
नहीं होगा बल्कि इसमें कोर्स
की
गतिविधियो के साथ-
साथ
संगीत नृत्य,साहित्य
खेल आदि विषयभी
शामिल किये जा सकते हैं ।
इस
कानून के अनुसार बालक/बालिकाओं
के शिक्षा अधिकारों
के संरक्षण एंव देखरेख के
लिये राष्टृीय बाल अधिकारसंरक्षण
आयोग और राज्य बाल अधिकार
संरक्षण आयोग को अधिकृतकिया
गया है ।
यह आयोग बच्चों के अधिकारों की प्राप्ती के लियेक्रियान्वयन की परीक्षा एंव प्रभावी क्रियान्वयन के लिये सुझाव देना ।बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लघंन होने पर शिकायतदर्ल लिखित या मौखिक हो सकती है ।
ग्रामीण पंचायम कार्यालयएव नगरीय क्षेत्र में नगर पालिका ,नगर निगम या नंगर पंचायतमें शिकायत दर्ज की जा सकती है ।
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