विवाह
का रजिस्ट्र्ेशन
माननीय
उच्चतम न्यायालय द्वारा सीमा
बनाम अश्विनी कुमार के
मामले
मामले
में सभी धर्मो के लिये
शादी का रजिस्टे्र्ेशन अनिवार्य
कर
दिया गया
दिया गया
है । माननीय उच्चतम
न्यायालय ने 2006
में
सभी धर्मो के लिये
विवाह
विवाह
पंजीकरण
कानून बनाने के निर्देश दिये
थे । पक्षकार किसी भी धर्म
से
से
संबंधित हो सभी का विवाह
पंजीयन अनिवार्य किया गया ।
इसके
लिए
लिए
केन्द्र सरकार ने
जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कानून
में संसोधन के
द्वारा
द्वारा
इसे
शामिल किया है
नये
कानून के आने पर सभी धर्मोके
लोगों के लिए एक ही कानून
जन्म,
जन्म,
मृत्यु
एवं विवाह पंजीयन अधिनियम के
तहत्शादी पंजीकृत की
जाएगी
जाएगी
।इससे उनके धार्मिक अधिकारों
और प्रक्रियाओं पर कोई प्रभाव
नहीं
नहीं
पडेगा ।शादी संबंधी किसी
भी विवाद का निपटारा अपने अपने
धर्मो क
धर्मो क
विवाह कानूनों के
तहत्ही होगा ।
शादी
के रजिस्ट्र्ेशन से यह लाभ
होगा कि:-
1- वैवाहिक
मामलों में महिलाओं को उत्पीडन
से बचाया
जा सकेगा ।
2- बाल
विवाह जैसी समस्याओं से भी
निजात मिलेगी ।
3- संबंधित
पक्षों को अंधेरे में रख कर
होने वाली शादियों पर
पावंदी लगेगी
पावंदी लगेगी
4- गैर
कानूनी बहुविवाह पर रोक लगाने
में मदद मिलेगी ।
5- विवाह
के लिए न्यूनतम आयु की पावंदी
लागू की जा सकेगी ।
6- विवाहित
स्त्रियों को अपने ससुराल
में रखने का हक हांसिल
करने में आसानी होगी ।
करने में आसानी होगी ।
7- महिलाओं
को विवाह का सबूत देने के लिए
भटकना नहीं होगा ।
8-
देश
में समान अचारसंहिता कि संविधान
कि उपधारणा को े
बढ़ावा मिलगा।
बढ़ावा मिलगा।
इस
संबंध
में म0प्र0 सरकार ने म0प्र0 विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण
नियम, 2008 कि रचना कि
है जो 23.01.2008 से प्रभावशील है। इसके नियम 3 के अनुसार
इन नियमों के प्रारंभ होने पर, म0प्र0
के राज्य क्षेत्र के भीतर ऐसे विवाहों को प्रशासित करने वाली
किसी विधि या रूढि़ के अधीन,
भारत के नागरिकों के बीच अनुष्ठापित तथा संविदाकृत विवाह
और इन नियमों के उपबंधों के
में म0प्र0 सरकार ने म0प्र0 विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण
नियम, 2008 कि रचना कि
है जो 23.01.2008 से प्रभावशील है। इसके नियम 3 के अनुसार
इन नियमों के प्रारंभ होने पर, म0प्र0
के राज्य क्षेत्र के भीतर ऐसे विवाहों को प्रशासित करने वाली
किसी विधि या रूढि़ के अधीन,
भारत के नागरिकों के बीच अनुष्ठापित तथा संविदाकृत विवाह
और इन नियमों के उपबंधों के
राज्य
सरकार इसके लिए एक रजिस्ट्रार
कि नियुक्ति करेगी। जब
तक रजिस्ट्रार कि नियुक्ति नहीं
होती है।
तक रजिस्ट्रार कि नियुक्ति नहीं
होती है।
जन्म तथा मृत्यु
रजिस्ट्रीकृत करने के लिए
सक्षम व्यक्ति व्यवहार
रजिस्ट्रार समझा जाएगा।
रजिस्ट्रार समझा जाएगा।
नियम
7
के
अनुसार विवाह का रजिस्ट्रीकरण
प्रारूप 1
में
ज्ञापन
प्रस्तुत करने पर विवाह की तारीख
से 30 दिन के भीतर दो प्रतियों अथवा रजिस्टर डाॅक से भेजे
जाने पर विवाह रजिस्टर में प्रविष्टि
करेगा। रजिस्ट्रार दस्तावेजों कि जांच भी कर सकता है, आयु का
सबूत मांग सकता है। उसके
आदेश के विरूद्ध नियम 9 में जिला न्यायाधीश द्वारा 30 दिन में
अपील होगी।
प्रस्तुत करने पर विवाह की तारीख
से 30 दिन के भीतर दो प्रतियों अथवा रजिस्टर डाॅक से भेजे
जाने पर विवाह रजिस्टर में प्रविष्टि
करेगा। रजिस्ट्रार दस्तावेजों कि जांच भी कर सकता है, आयु का
सबूत मांग सकता है। उसके
आदेश के विरूद्ध नियम 9 में जिला न्यायाधीश द्वारा 30 दिन में
अपील होगी।
नियम
10
के
अनुसर रजिस्ट्रीकरण के सबंध
में 30
रू.
का
भुगतान
किए जाने का प्रारूप क्र 3 में
प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
भुगतान
किए जाने का प्रारूप क्र 3 में
प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
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