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शनिवार, 17 मई 2014

//शिक्षा अधिकार कानून संवैधानिक //

//शिक्षा अधिकार कानून संवैधानिक //        

        प्रधान न्यायाधीश श्री आर.एम. लोढा की अध्यक्षता वाली पंाच सदस्यीय संविधान पीठ जिसमें मान्नीय न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक, मान्नीय न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय, मान्नीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और मान्नीय न्यायमृर्ति एस.एम.आई. कलीमुल्ला शामिल थे उसनें शिक्षा का अधिकार (आरटीआई) कानून की संवैधानिक बताया है
        संविधान पीठ के समक्ष यह मसला कनार्टक सरकार के 1994 के दो आदेेशों के कारण पहंुचा था, इन आदेशों में कक्षा एक से चार तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाष में शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य किया गया था । सरकार के इन आदेशों की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी ।
         सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया है कि तमाम विशेषज्ञ इस पर एकमत हैं कि प्राथमिक स्कूलों में बच्चे तभी बेहतर ढंग से विद्या प्राप्त कर सकते हैं अगर पढाई का माध्यम मातृभाषा हो । लेकिन उसने कर्नाटक सरकार के 1994 के उस आदेश को असंवैधानिक ठहरा दिया, जिसमंे राज्य के प्रायमरी स्कूलों में कन्नड में शिक्षा देने की बात कही गई थी ।
1-    संविधान पीठ के अनुसार यह सहायता प्राप्त या गैर सहायता अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होगा ।
2-    इस कानून के तहत सभी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है ।
3-    अनुच्छेद 21(क) संविधान के बुनियादी ढांचे को प्रभावित नहीं करता है ।
4-    सरकारी प्राथमिक शिक्षा देने के लिए भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए मातृभाषा अनिवार्य नहीं कर सकती है । 
5-    सरकार को भाषाई अल्पसंख्यकों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए अनिवार्य रूप से क्षेत्रीय भाषा लागू करने के लिए बाध्य करने का अधिकार नहीं है ।
6-    संविधान में कहीं उल्ल्ेख नहीं है कि मातृभाषा वही है, जिसमें बच्चा अपने को सहज पाता हो ।
7-  कोर्ट ने मौलिक अधिकारों से संबंधित संविधान के अनुच्छेदों (भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) 29(अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और 30 (संस्थाए स्थापित करने के अल्पसंख्यकों के अधिकारों ) के अंतर्गत भी भारत में मातृभाषा में शिक्षा नहीं दी जा सकती।
8-    कोर्ट ने अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रावधान की जो व्याख्या की जिसके अनुसार भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत बच्चे की अपनी पसंद की भाषा में शिक्षा पाने की स्वतंत्रता भी शामिल है ।
9-    बच्चे या उसकी तरफ से उसके अभिभावक को शिक्षा का माध्यम चुनने की आजादी है ।







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