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बुधवार, 21 मई 2014


 ‘‘विधि और न्याय क्षेत्र में हिन्दी भाषा‘‘

    देश के स्वतंत्रता के 65 वर्ष बाद भी देश के उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों, न्यायिक अधिकरणों में हिन्दी भाषा में पूर्णतः कार्य नहीं होता और संविधान के अनुच्छेद-348 के अनुसार उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालयों में कामकाज की भाषा अंग्रेजी है। उच्च और उच्चतम न्यायालय ने केवल अंग्रेजी में अपील और  बहस होती है,
     केवल 7 राज्यों-मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार  उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि के उच्च न्यायालयों में हिन्दी के प्रयोग की अनुमति है। लेकिन कार्य अंग्रेजी में होता है।
    कुछ हिन्दी भाषी राज्यों में निचले स्तर के न्यायालय में हिन्दी और अन्य हिन्दी भाषी राज्यों को छोड़कर उनकी क्षेत्रीय भाषाओं में कार्य किया जाता है लेकिन अपीलीय न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है इसलिए सभी न्यायालयों में क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में कार्य नहीं होगा, तब तक आम जनता को वास्तविक न्याय प्राप्त नहीं होगा।
1.    केन्द्र सरकार की राजभाषा हिन्दी है, फिर भी अंग्रेजी को 1963 में पारित राजभाषा अधिनियम में सरकारी कार्यो/प्रयोजनों के लिये 26 जनवरी, 1965 के बाद भी पहले की तरह प्रयोग किए जाते रहने की छूट दी गई है, जो उचित नहीं है। अतः अंग्रेजी के प्रयोग पर रोक लगाकर केन्द्र में हिन्दी और राज्यों में राज्य की राजभाषाओं में कार्य करने हेतु कठोर कदम उठायें जायें।
2.    इसी प्रकार देश के अन्य सभी राज्यों की राजभाषाएं, उनके     उच्च न्यायालयों के कामकाज की भाषा बनाई जाएॅ।
3.    संसदीय राजभाषा समिति र्की  सिफारिश के अनुसार, उच्चतम न्यायालय में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में कार्य करने की भी अनुमति दी जाए।
4.    उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हिन्दी और संबंधित राज्य की राजभाषा में निर्णय लिखने/कार्य करने हेतु उत्प्रेरित किया जाए।
5.    देश के सभी राज्यों की न्यायिक सेवा-शिक्षा तथा विधि संबंधी अन्य परीक्षाओं का माध्यम, अंग्रेजी के अलावा, हिन्दी और प्रादेशिक भाषाएं बनाई जाएॅ तथा अंग्रेजी के अनिवार्य प्रश्न-पत्र को हटाया जाए, या इसके विकल्प में उतने ही अंक का भारतीय भाषा का प्रश्न-पत्र रखा जाए।
6.    राष्ट्रीय विधि संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में एल.एल.बी. के तीन वर्षीय और 5 वर्षीय पाठ्यक्रमों, में दाखिला हेतु ली जाने वाली प्रवेश-परीक्षा का माध्यम, हिन्दी और भारतीय भाषाएॅ हो।
7.    देश के सभी राज्यों में एल.एल.बी. और एल.एल.एम. की पढ़ाई का माध्यम, हिन्दी और भारतीय भाषाएॅं हों।
8.    विधि संबंधी सभी पुस्तकें हिन्दी और भारतीय भाषाओं में यथाशीघ्र उपलब्ध कराई जाएॅ।
9.    सभी न्यायालयों से प्रशासनिक कार्य हिन्दी में किया जाए।
10.    हिन्दी और हिन्दीतर प्रदेशों की विधान सभाओं में विधायन/कानून बनाने का कार्य मूलतः राज्यों की राजभाषाओं में हो। राज्य की राजभाषा में पारित कानूनों/अधिनियमों के अनुवाद, बाद में हिन्दी और अंग्रेजी में किए जाएॅं।
11.    जिला न्यायालयों/अधीनस्थ न्यायालयों का समस्त कामकाज राज्यों की राजभाषाओं में ही हो।
12.    उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों, जिला स्तर के अधीनस्थ न्यायालयों, केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट), न्यायिक अधिकरणों, आयकर अपीलीय अधिकरणों, ऋण वसूली अधिकरणों की भाषा, अंग्रेजी के अलावा, अनिवार्य रूप से हिन्दी और राज्य की राजभाषाएं भी हो।
13.    हिन्दी को अनुवाद की भाषा बनाने से रोका जाए और विधि तथा अन्य क्षेत्रों में मूलतः कार्य हिन्दी और राज्य की राजभाषा में हो।
14.    हिन्दी तथा हिन्दीतर भाषी प्रदेशों के सभी न्यायालयों, न्यायिक अधिकरणों आदि में हिन्दी के कम्प्यूटरों में हिन्दी टाईपिस्टों, हिन्दी आशुलिपिकों आदि की समुचित व्यवस्था हो।
15.    हर राज्य में एक राजभाषा कार्यान्वयन समिति गठित की जाए।

















































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