//विधि का शासन और न्याय प्रदान करने में आने वाली कठिनाईयां//
विधि द्वारा स्थापित न्यायालयों को विधिक प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय में विधि का शासन लागू किए जाने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण न्याय प्रशासन प्रभावित होता हैं । उपरोक्त कठिनायां निम्नलिखित हैंः-
1. न्यायालय में कार्य की अधिकता ।
2. न्यायालय में सभी गवाहों को खर्च नहीं दिया जाता है क्योंकि वह कम होने के कारण जल्दी समाप्त हो जाता है ।
3. निःशुल्क विधिक सहायता अयोग्य, अप्रशिक्षित, पैनल लायर के माध्यम से दी जाती है ।
4. सरकारी अधिवक्ता राजनैतिक प्रभाव से बनाए जाते हैं इसलिए एक ही दिन में 15-20 प्रकरणों में कार्यवाही किए जाने हेतु सक्षम नहीं होते हैं ।
5. न्यायालय के पास प्रतिकर अदायगी हेतु खुद का कोई फण्ड नहीं है, इसलिए प्रार्थी को इलाज हेतु पर्याप्त राशि प्रदान नहीं की जा सकती है ।
6. न्यायालय में फाईलों की संख्या अत्यधिक है, जिसके कारण न्यायाधीश निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही नहंी कर पाते हैं ।
7. न्यायालय और न्यायाधीश राजनीति, मीडिया, प्रमोशन के लालच में डर दबाव के कारण काम करते हैं ।
8. बाल न्यायालय भी औपचारिकतापूर्ण एक दिन लगाया जाता है, उसमें विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती है ।
9. ग्राम न्यायालय भी केवल एक दिन लगाए जाते हैं और ग्राम न्यायालय के अनुरूप ग्रामों में जाकर न्यायाधीश सुविधाओं के अभाव के कारण न्याय प्रदान नहीं करते हैं ।
10. शासकीय गवाहों को सुरक्षा प्रदान नहंी की जाती है, जिसके कारण वे डर दबाव के कारण अभियोजन का पक्ष समर्थन नहीं करते हैं, जिसके कारण दोषी व्यक्ति न्यायालय में छूट जाते हैं ।
11.न्यायालय और न्यायाधीश पर डर दबाव बनाए जाने के लिए झंूठे आरोप और शिकायतें की जाती हैं, जिसके कारण न्यायाधीश स्वतंत्रतापूर्वक कार्य नहीं कर पाते हैं ।
विधि द्वारा स्थापित न्यायालयों को विधिक प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय में विधि का शासन लागू किए जाने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण न्याय प्रशासन प्रभावित होता हैं । उपरोक्त कठिनायां निम्नलिखित हैंः-
1. न्यायालय में कार्य की अधिकता ।
2. न्यायालय में सभी गवाहों को खर्च नहीं दिया जाता है क्योंकि वह कम होने के कारण जल्दी समाप्त हो जाता है ।
3. निःशुल्क विधिक सहायता अयोग्य, अप्रशिक्षित, पैनल लायर के माध्यम से दी जाती है ।
4. सरकारी अधिवक्ता राजनैतिक प्रभाव से बनाए जाते हैं इसलिए एक ही दिन में 15-20 प्रकरणों में कार्यवाही किए जाने हेतु सक्षम नहीं होते हैं ।
5. न्यायालय के पास प्रतिकर अदायगी हेतु खुद का कोई फण्ड नहीं है, इसलिए प्रार्थी को इलाज हेतु पर्याप्त राशि प्रदान नहीं की जा सकती है ।
6. न्यायालय में फाईलों की संख्या अत्यधिक है, जिसके कारण न्यायाधीश निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही नहंी कर पाते हैं ।
7. न्यायालय और न्यायाधीश राजनीति, मीडिया, प्रमोशन के लालच में डर दबाव के कारण काम करते हैं ।
8. बाल न्यायालय भी औपचारिकतापूर्ण एक दिन लगाया जाता है, उसमें विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती है ।
9. ग्राम न्यायालय भी केवल एक दिन लगाए जाते हैं और ग्राम न्यायालय के अनुरूप ग्रामों में जाकर न्यायाधीश सुविधाओं के अभाव के कारण न्याय प्रदान नहीं करते हैं ।
10. शासकीय गवाहों को सुरक्षा प्रदान नहंी की जाती है, जिसके कारण वे डर दबाव के कारण अभियोजन का पक्ष समर्थन नहीं करते हैं, जिसके कारण दोषी व्यक्ति न्यायालय में छूट जाते हैं ।
11.न्यायालय और न्यायाधीश पर डर दबाव बनाए जाने के लिए झंूठे आरोप और शिकायतें की जाती हैं, जिसके कारण न्यायाधीश स्वतंत्रतापूर्वक कार्य नहीं कर पाते हैं ।
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